किसान खेती के साथ बकरी पालन करके अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं। वहीं, सरकार भी इसके लिए भारी सब्सिडी दे रही है। आइये जानें कैसे उठा सकते हैं इसका लाभ।
बकरी पालन पर सब्सिडी दे रही है सरकार
किसानों के लिए बकरी पालन कमाई का बेहतर जरिया बन सकता है। सरकार भी इसके लिए कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को प्रेरित कर रही है। सरकार बकरी पालन पर बंपर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। किसान अकेले या पार्टनरशिप में भी बकरी पालन करके सरकार की सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। तो आइये जानें कहां मिल रही है बकरी पालन पर सब्सिडी व कैसे उठा सकते हैं इसका लाभ।
बकरी पालन की यूनिट लगाने पर सब्सिडी
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत बुंदेलखंड क्षेत्र में 100 से 500 तक बकरी पालन की यूनिट लगाने पर भारी सब्सिडी दे रही है। इस योजना के जरिए यूपी सरकार बकरी नस्ल का सुधार करना चाहती है। वहीं, सरकार की ओर से इसके लिए कुछ उन्नत किस्म के बकरे व बकरी भी दिए जाएंगे। उत्तर प्रदेश में पशुपालन व डेयरी विभाग ने बकरियों की पांच तरह की यूनिट लगाने पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने की घोषणा की है।
20 लाख सब्सिडी
अगर किसान 100 बकरी पालन का यूनिट तैयार करते हैं तो सरकार की ओर से उन्हें पांच बीजू बकरे मिलेंगे. वहीं, सरकार ने 100 बकरियों की यूनिट तैयार करने की लागत राशि 20 लाख रुपये निर्धारित की है। ऐसे में पशुपालकों को 10 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। वहीं, 200 बकरियों का यूनिट लगाने पर सरकार 10 बीजू बकरे देगी। इसमें लागत 40 लाख रुपये तय की गई है। इसी तरह, 200 बकरियों का यूनिट बैठाने पर सरकार 20 लाख रुपये देगी।
50 लाख तक अनुदान
इसके अलावा, इस योजना के तहत 300 बकरियों और 15 बीजू बकरे की यूनिट लगाने पर सरकार 60 लाख रुपये के हिसाब से 30 लाख रुपये और 400 बकरियों और 20 बीजू बकरे की यूनिट लगाने पर सरकार 80 लाख रुपये (लागत) के हिसाब से 40 लाख रुपये की सब्सिडी देगी। इसके अलावा, 500 बकरियों और 25 बीजू बकरे की यूनिट तैयार करने पर उत्तर प्रदेश में 1 करोड़ रुपये (लागत) के हिसाब से 50 लाख रुपये तक का अनुदान देने का प्रावधान है।
बकरी पालन से जुड़ी खास बात
बकरी पालन की यूनिट किसान अकेले या समूह में भी बना सकते हैं। हर तरह से यूनिट लगाने पर सब्सिडी दी जा रही है। किसानों को इसका लाभ उठाने के लिए जमीन व अन्य चीजों की आवश्यकता होगी। बुंदेलखंड क्षेत्र में पशुपालन विभाग में जाकर किसान इस सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए उन्हें कुछ कागजातों की भी आवश्यकता पड़ेगी। जिसके बारे में वहीं जानकारी दी जाएगी। बकरी का दूध और बकरे को सीधे बाजार में बेचकर किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैं।
एक बकरा बाजार में आसानी से पांच हजार रुपये में बिक जाता है। ऐसे में पांच बकरा बेचकर पशुपालक साल में 25 हजार रुपये की कमाई कर सकते हैं। इसके अलावा बकरी का दूध 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बाजार में मिलता है। माना जाता है कि प्लेटलेट्स बढ़ाने में बकरी के दूध की अहम भूमिका होती है। इसी तरह, किसान हर तरह से बकरी पालकर जबरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं।
आपको ये पांच औषधीय पौधे घर में जरुर लगाने चाहिए। इससे कई बड़ी बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है।
बीमारी से निजात दिलाएंगे ये पांच औषधीय पौधे
पुराने जमाने से बड़ी-बड़ी बीमारियों के इलाज के लिए औषधीय पौधों का इस्तेमाल होता रहा है। आज भी कई आयुर्वेदिक दवाइयों में इसका उपयोग किया जाता है। ये हमें कई रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। आज हम आपको चार ऐसे खास औषधीय पौधों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनमें डायबिटीज और हृदय रोग जैसी बीमारियों को रोकने की क्षमता है। आइए, उनपर एक नजर डालें।
मेथी का पौधा
मेथी का पौधा
मेथी के पौधे में ढेर सारे औषधीय गुण होते हैं। इसे कई लोग घर में गमलों में लगाते हैं। सब्जी के रूप में इसकी भाजी को भी खूब पसंद किया जाता है। मेथी स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है। इसे खाने से हृदय, पेट, कब्ज, त्वचा और लीवर संबंधित रोग दूर रहते हैं। इसके अलावा, यह ब्लड शुगर को भी कंट्रोल करता है। वहीं, इसका सेवन करके बालों को झड़ने से भी रोका जा सकता है। मेथी को कई आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। अगर शरीर में सूजन हो तो मेथी के पत्तों को पीसकर उसपर लगाने से आराम मिलता है। इसलिए, घर में मेथी के पौधे को जरुर लगाएं।
इंसुलिन का पौधा
इंसुलिन का पौधा
इंसुलिन का पौधा भी आपके कई काम आ सकता है। इंसुलिन का इस्तेमाल हम डायबिटीज के इलाज के लिए कर सकते हैं। यह इसे जड़ से खत्म करने की भी क्षमता रखता है। हालांकि, यह पौधा आसानी से नहीं मिलता है। लेकिन अपने घर में इसे जरुर लगाना चाहिए।
कढ़ी पत्ता
कढ़ी पत्ता
जब औषधीय पौधों की बात होती है तो कढ़ी पत्ता का नाम भी सबसे ऊपर आता है। ये शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। इसमें कई औषधीय गुण होते हैं। कढ़ी पत्ता आंख, त्वचा, बाल, हृदय और लिवर के लिए लाभदायक होता है। इसका सेवन करके वजन भी घटाया जा सकता है। वहीं, ये डायरिया से भी बचाव करता है। इसलिए, अपने घर में इसे भी जरुर लगाएं।
लैवेंडर का पौधा
लैवेंडर का पौधा
लैवेंडर के कई फायदे हैं। सबसे पहले ये अनिद्रा की बीमारी को दूर करता है। जिन लोगों को नींद नहीं आती है, वह इसे तकिये के नीचे रखकर सो सकते हैं। इसका फायदा तुरंत देखने को मिलेगा। इसके अलावा, डिप्रेशन के शिकार लोगों के लिए भी लैवेंडर रामबाण है। इसका सेवन करके माइग्रेन व तवचा संबंधित रोगों से निजात पाया जा सकता है।
अगर आप बाजार में मिलने वाली तोरी, भिंडी और लौकी आदि सब्जियों को खाकर बोर हो गए हैं, तो आज इस बेहतरीन व विटामिन से भरपूर जुकिनी सब्जी का सेवन जरूर करें।
विटामिन व खनिज का पावर हाउस जुकिनी सब्जी
घरों में अक्सर कहा जाता है कि अच्छी व ताजा सब्जियां खाओं और अपनी सेहत बनाओं. देखा जाए तो यह एक दम सच भी है. दरअसल, डॉक्टरों का भी यह कहना है कि शरीर को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखने के लिए सब्जियों का सेवन करना बहुत ही जरूरी है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सब्जियां मानव शरीर और मानसिक विकास (Mental Development) के लिए बेहद मददगार हैं. आज हम अपने इस लेख में आपके लिए ऐसी ही एक सब्जी की जानकारी लेकर आए हैं, जिसे शायद ही आपने खाया होगा. जी हां इस सब्जी का नाम जुकिनी है. अब आप सोच रहे होंगे कि यह किस तरह की सब्जी है जिसका नाम ही इतना अजीब है. दरअसल, यह एक तरह की तोरी है, जो रंगीन है।
जुकिनी तोरी क्या है?
यह सब्जी एक दम कद्दू की तरह दिखाई देती है. लेकिन यह कद्दू नहीं है। इसका रंग, आकार और बाहरी छिलका बेसक कद्दू जैसा हो लेकिन खाने और बनाने में यह तोरी जैसी है। विभिन्न इलाकों में यह अलग-अलग रंग की होती है कुछ इलाकों में यह पीले व हरे रंग की होती है। इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। जैसे कि तोरी, तुरई और नेनुआ आदि।
विटामिन व खनिज का पावरहाउस
इस सब्जी में कई तरह के पोषण तत्व पाए जाते हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, इसमें लगभग सभी तरह के विटामिन व खनिजों का मिश्रण पाया जाता है। विटामिन ए, सी, के , फाइबर, पोटेशियम आदि की मात्रा सबसे अधिक पाई जाती हैं। ऐसे में अगर आप इस जुकिनी सब्जी (Zucchini Vegetable) का सेवन करते हैं, तो आप कई तरह की बीमारियों से मुक्ति पा सकते हैं।
एक पौधे से मिलते हैं इतने फल
अगर आप इस जुकिनी सब्जी की खेती (Cultivation of Zucchini Vegetable) करते हैं, तो आप इससे अच्छा मुनाफा पा सकते हैं. क्योंकि इसे एक पौधे से करीब 12 किलो तक फल प्राप्त होते हैं।
लेकिन ध्यान रहे कि इसकी खेती सितंबर और नवंबर के माह में की जाती है. देखा जाए तो इसकी खेती से 25 से 30 दिन के अंदर भी फल आना शुरू हो जाते हैं और फिर 40 से 45 दिनों के अंदर ही इसके फलों की तुड़ाई शुरू कर दी जाती है।
बाजार में इस सब्जी की कीमत
मार्केट में जुकिनी सब्जी की कीमत (Cost of Zucchini Vegetable) लगभग 25 से 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिकती है।
जुकिनी सब्जी के फायदे (Benefits of Zucchini vegetable)
इस सब्जी को खाने से लोगों के शरीर के अंदर की कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे कि हड्डियां मजबूत करना, बीपी नियंत्रित रखना, ब्लड फ्लो को भी बनाए रखना आदि कई तरह की बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।
किसानों की सुविधा और उनकी उन्नति के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर कृषि मशीनें खरीदने पर सब्सिडी उपलब्ध करवाती हैं। इस लेख में हम अलग-अलग राज्यों द्वारा कृषि यंत्र पर मिलने वाली सब्सिडी पर चर्चा करेंगे और बतायेंगे कि किसानों को किस राज्य में कितने प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाती है।
Agricultural machinery subsidies in India
कृषि मशीनरी किसानों के लिए काम का बोझ कम करने और उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन मशीनों के महत्व को देखते हुए भारत के कई राज्यों में किसानों को कृषि यंत्र खरीदने पर सब्सिडी दी जाती है। यहां हम विभिन्न राज्यों में कृषि मशीनरी पर दी जा रही सब्सिडी की जानकारी दे रहे हैं। जिससे किसानों को आधुनिक तकनीकों को अपनाने और उनकी फसल की खेती को बढ़ाने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है।
कृषि यंत्र पर राज्यवार सब्सिडी इस प्रकार हैं-
1. तमिलनाडु
तमिलनाडु का कृषि मशीनीकरण कार्यक्रम विभिन्न मशीनों के लिए सब्सिडी प्रदान करता है. जिसमें पावर टिलर, धान ट्रांस-प्लांटर्स, रोटावेटर, सीड-ड्रिल, जीरो-टिल सीड फर्टिलाइजर ड्रिल, पावर स्प्रेयर और ट्रैक्टर द्वारा संचालित मशीनें जैसे स्ट्रॉ बेलर, पावर वीडर और ब्रशकटर्स शामिल हैं. सामान्य किसानों को 40% सब्सिडी मिलती है, जबकि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के किसानों को 50% सब्सिडी मिलती है।
2. तेलंगाना
तेलंगाना की यंत्र लक्ष्मी योजना ट्रैक्टर खरीद पर 50% सब्सिडी प्रदान करती है. कृषि मशीनीकरण योजना के तहत, यह अन्य कृषि उपकरण खरीदने के लिए भी सहायता प्रदान करता है. इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के किसान 100% सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं. योग्य स्नातक बीमा और संपार्श्विक सुरक्षा (collateral security) के साथ एसबीआई से ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं।
3. महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में फार्म मशीनीकरण योजना के तहत छोटे, सीमांत और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के किसानों को ट्रैक्टर के लिए 35% और अन्य मशीनों के लिए 50% सब्सिडी प्रदान किया जाता है. सामान्य श्रेणी के किसानों को ट्रैक्टर के लिए 25% और अन्य मशीनों के लिए 40% अनुदान मिलता है. ऋण 5-9 वर्ष की पुनभुगतान अवधि के साथ सावधि ऋण के रूप में उपलब्ध हैं और 1 लाख रुपये से कम के ऋण के लिए किसी मार्जिन की आवश्यकता नहीं है।
4. उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश की कृषि यंत्र योजना ट्रैक्टर खरीद के लिए लागत का 25% या 45,000 रुपये (जो भी कम हो) की सब्सिडी प्रदान करता है. इसके लिए प्रथमा बैंक महिंद्रा, स्वराज और सोनालिका के सहयोग से ट्रैक्टर ऋण प्रदान करता है।
5. राजस्थान और हरियाणा
राजस्थान और हरियाणा दोनों ही फार्म मशीनीकरण योजना के तहत काम करते हैं. इसके लिए हरियाणा में सर्व हरियाणा बैंक और राजस्थान में एयू बैंक ऋण प्रदान करते हैं. योजनाएं उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों को अपनाने को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
6. गुजरात
गुजरात में सरकार सामान्य श्रेणी के लिए 25% से अधिक और विशेष श्रेणियों के लिए 35% की ट्रैक्टर सब्सिडी प्रदान करती है. कृषि मशीनरी के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण और कार्यशालाएं आयोजित की जाती हैं. इसके लिए गुजरात ग्रामीण बैंक से ऋण आसानी से मिलती हैं।
7. कर्नाटक
कर्नाटक राज्य सरकार का उद्देश्य खेती में समयबद्धता, उत्पादकता और कम श्रम को बढ़ावा देना है. इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, सरकार “उबर फॉर एग्रीकल्चर सर्विसेज” योजना के माध्यम से किराये के आधार पर आवश्यक मशीनरी प्रदान करने की योजना बना रही है. किसान वीएसटी टिलर्स, जॉन डीरे और महिंद्रा जैसे सहयोगी ऑटोमोबाइल निर्माताओं से मशीनरी तक पहुंच सकते हैं. ऋण 9 वर्ष तक की चुकौती अवधि के साथ, कृषि सावधि ऋणों के समान ब्याज दर पर उपलब्ध हैं।
8. केरल
केरल सरकार ने फार्म मशीनीकरण प्रणाली (FMS) की शुरुआत की है, एक सॉफ्टवेयर प्रणाली जो मशीनरी वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करती है. ट्रैक्टर की खरीद 25% सब्सिडी के लिए पात्र हैं, जबकि अन्य उपकरण जैसे कि टिलर और रोटावेटर के लिए ऋण उपलब्ध हैं. गर्भावस्था अवधि को छोड़कर, ऋण चुकौती अवधि 5 से 10 वर्ष तक होती है।
9. आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश में ट्रैक्टरों का वितरण रायथु राधम योजना के तहत किया जाता है. योग्यता मानदंड के लिए किसान कम से कम एक एकड़ जमीन का मालिक होना चाहिए. इसके लिए आईसीआईसीआई बैंक 5 साल की चुकौती समय सीमा के साथ ऋण प्रदान करता है।
10. मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश मैक्रो-मैनेजमेंट स्कीम के माध्यम से छोटे ट्रैक्टरों के लिए सब्सिडी प्रदान करता है. यह योजना, राज्य और केंद्र सरकारों के सहयोग से किसानों को उनकी मशीनरी खरीद में सहायता करने के लिए ऋण भी उपलब्ध कराता हैं।
11. असम
असम में मुख्यमंत्री समग्र ग्राम्य उन्नयन योजना (CMSGUY) ट्रैक्टरों के लिए 70% (5.5 लाख रुपये तक) की सब्सिडी प्रदान करती है. पात्र किसानों के पास न्यूनतम 2 एकड़ भूमि होनी चाहिए. इसका 8-10 किसानों के समूह भी लाभ उठा सकते हैं. एसबीआई मशीनों की खरीद के लिए ऋण प्रदान करता है।
12. ओडिशा
ओडिशा की पूंजी निवेश और फार्म मशीनीकरण योजनाएं टिलर के लिए 50% सब्सिडी और ट्रैक्टर के लिए 40% सब्सिडी प्रदान करती हैं. ओडिशा ग्राम्य बैंक कृषि वाहनों की खरीद के लिए ऋण प्रदान करता है, जो 15% मार्जिन के साथ लागत का 85% कवर करता है।
13. पंजाब
पंजाब में पंजाब नेशनल बैंक से ऋण उपलब्ध होने के साथ-साथ किसान दोस्त वित्त योजना (Kisan Dost Finance scheme) भी चलाई जा रही है. इन पहलों का उद्देश्य पंजाब में किसानों को कृषि मशीनरी और उपकरण खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
14. पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल एक एचडीएफसी ऋण और एक ट्रैक्टर प्लस सुरक्षा योजना प्रदान करता है. ये कार्यक्रम पश्चिम बंगाल में ट्रैक्टर और अन्य कृषि मशीनरी की खरीद के लिए किसानों को वित्तीय सहायता और बीमा कवरेज प्रदान करते हैं।
15. अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश कृषि मशीनरी की खरीद में किसानों का समर्थन करने के लिए आईसीआईसीआई बैंक के माध्यम से ऋण प्रदान करता है. ये ऋण राज्य में किसानों को उपकरणों की खरीद के लिए आवश्यक धन का उपयोग करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे यंत्रीकृत कृषि पद्धतियों की सुविधा मिलती है।
16. हिमाचल प्रदेश और मेघालय
हिमाचल प्रदेश और मेघालय भी कृषि मशीनीकरण योजना और एसएमएएम (कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन) योजना का पालन करते हैं. इन पहलों का उद्देश्य कृषि में आधुनिक मशीनरी और प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना है, जिससे इन राज्यों में किसानों को अपनी कृषि पद्धतियों और उत्पादकता को बढ़ाने में सक्षम बनाया जा सके।
इन राज्यों की पहल कृषि क्षेत्र में उन्नत मशीनरी और प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिए वित्तीय सहायता और समर्थन प्रदान करती हैं। इन सब्सिडी और ऋणों का लाभ उठाकर, देश भर के किसान अपने कृषि कार्यों को आसानी से कर सकते हैं। साथ ही कृषि में उत्पादकता और स्थिरता बढ़ाने में योगदान कर सकते हैं।
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के विशाल माने रोज सुबह अपने हाइड्रो पोनिक फार्म में सब्जियां लगाते नजर आते हैं। सब्जियों के पौधे को विशाल बिना मिट्टी वाली खेती के जरिए एक ग्रीन हाउस में उगाते हैं। विशाल ने अपने छोटे से हाइड्रो पोनिक फार्म में 50 अलग-अलग तरह की पत्तियों वाली सब्जी लगाई हुई है। विशाल माने ने अपने अपने साथ देश दुनिया के तमाम किसानों को हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के लिए ट्रेन करने के हिसाब से जगदंबा हाइड्रोपोनिक्स नाम की एक कंपनी बनाई है।
सब्जियों के पौधे को विशाल बिना मिट्टी वाली खेती के जरिए एक ग्रीन हाउस में उगाते हैं।
जगदंबा हाइड्रोपोनिक्स एंड एग्रीकल्चर सिस्टम नाम की यह कंपनी देश के किसी भी हिस्से में किसानों को बिना मिट्टी की खेती से संबंधित तकनीक, उपकरण और पूरा सेटअप लगाने में मदद करती है।
बिना मिट्टी के की जा रही खेती देश के कई इलाके के किसानों के लिए अब भी एक कौतूहल की तरह है। विशाल माने लोगों के पास जाकर ग्रीन हाउस और हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के फायदे समझा कर उन्हें अपना सेटअप बनाने में मदद करते हैं।
हाइड्रोपोनिक खेती या हाइड्रोकल्चर तरीके से खेती करके तेलंगाना के किसान हरिशचंद्र रेड्डी आज करोड़ों रुपए की कमाई कर रहे हैं। शुरुआत में उन्होंने हाइड्रोपोनिक खेती का प्रशिक्षण लिया और इसकी तकनीक का गहन अध्ययन किया। इसके लिए उन्होंने छह माह तक हाइड्रोपोनिक खेती के तरीके को समझा और इसके बाद हाइड्रोपोनिक तरीके से खेती करना शुरू किया।
किसान हरिशचंद्र रेड्डी ने कहा कि वह सस्ती कीमत पर लोगों को फल-सब्जियां खिलाना चाहते थे। बाजार में सब्जियों की मांग को देखते हुए उनका ध्यान हाइड्रोपोनिक खेती की ओर गया। उन्होंने कई जगह पर जाकर इसके बारे में जानकारी और प्रशिक्षण लेकर हाइड्रोपोनिक खेती करना शुरू किया।
शुरुआत में हाइड्रोपोनिक या प्राकृतिक खेती करने में लागत काफी आई, लेकिन उसके बाद लागत कम होती गई और उपज बढ़ती रही। इसका परिणाम यह हुआ कि आज वे इस प्रकार की खेती करके करीब 3 करोड़ तक की कमाई कर रहे हैं। ग्रीन हाउस हाइड्रोपोनिक तकनीक स्थापित करने में प्रति एकड़ के क्षेत्र में करीब 50 लाख रुपए तक का खर्च आता है।
हाइड्रोपोनिक एक ग्रीक शब्द है, जिसका मतलब है बिना मिट्टी के सिर्फ पानी के जरिए खेती। यह एक आधुनिक खेती है, जिसमें पानी का इस्तेमाल करते हुए जलवायु को नियंत्रित करके खेती की जाती है। पानी के साथ थोड़े बालू या कंकड़ की जरूरत पड़ सकती है। इसमें तापमान 15-30 डिग्री के बीच रखा जाता है और आर्द्रता को 80-85 फीसदी रखा जाता है। पौधों को पोषक तत्व भी पानी के जरिए ही दिए जाते हैं।
हाइड्रोपोनिक फ़ार्मिंग में खेती पाइपों के जरिए होती है. इनमें ऊपर की तरफ से छेद किए जाते हैं और उन्हीं छेदों में पौधे लगाए जाते हैं. पाइप में पानी होता है और पौधों की जड़ें उसी पानी में डूबी रहती हैं। इस पानी में वह हर पोषक तत्व घोला जाता है, जिसकी पौधे को जरूरत होती है।
यह तकनीक छोटे पौधों वाली फसलों के लिए बहुत अच्छी है. इसमें गाजर, शलजम, मूली, शिमला मिर्च, मटर, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, तरबूज, खरबूजा, अनानास, अजवाइन, तुलसी, टमाटर, भिंडी जैसी सब्जियां और फल उगाए जा सकते हैं।
अब इंसानों की तरह पालतू जानवरों का भी इंश्योरेंस किया जाएगा। जिसमें बीमा कंपनी की तरफ से कई सुविधाएं दी जाएंगी।
पालतू जानवरों के लिए खरीदें बीमा पॉलिसी
अगर आप भी पालतू जानवरों को पालना पसंद करते हैं, तो इनसे जुड़ी कुछ जरूरी बातों का आपको ध्यान रखना चाहिए। जिस तरह से इंसानों के बेहतर भविष्य व परिवार के लिए इंश्योरेंस यानि की बीमा किया जाता है। ठीक उसी तरह से पालतू जानवरों का भी बीमा किया जाता है। लेकिन यह बात कुछ ही लोगों को पता होती है। इसलिए ज्यादातर लोग अपने जानवरों का बीमा नहीं करवा पाते हैं और फिर वह भविष्य में हानि का सामना करते हैं। तो आइए आज हम आपको पालतू जानवरों की बीमा पॉलिसी (Insurance Policy) के बारे में विस्तार से बताते हैं..
पेट इंश्योरेंस में मिलती हैं कई सुविधाएं
जैसे इंसानों की पॉलिसी में कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं, ठीक उसी तरह से जानवरों की पॉलसी (Animal Policy) में भी कई तरह की खास सुविधाएं दी जाती हैं। इसमें पेट के एक्सिडेंट से लेकर बीमारी और अन्य कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं।
बताया जा रहा है कि पेट इंश्योरेंस (Pet Insurance) में जानवर चोरी होने पर भी मालिक को लाभ दिया जाता है। इसके लिए बस पेट के मालिक को इंश्योरेंस प्लान की कुछ शर्तों का पालन करना होता है। साथ ही प्लान के बेहतर विकल्पों का चयन करना होता है। क्योंकि इंश्योरेंस में कई तरह के प्लान मौजूद हैं, उसी के मुताबिक आपको लाभ दिया जाता है।
पेट इंश्योरेंस से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
ध्यान रहे कि इंश्योरेंस2 महीने के पेट से लेकर 10 साल तक के लिए किया जाता है।
बीमा प्लान में गर्भावस्था या बच्चे के जन्म, ग्रूमिंग और कॉस्मेटिक सर्जरी की भी सुविधा है।
इसके लिए पेट के मालिक को हर महीने तय की गई प्रीमियम जो प्लान के मुताबिक बनती है। उसे भरना होगा।
कहां से मिलेगा पेट इंश्योरेंस प्लान
अगर आप भी अपने पेट का बीमा (Pet Insurance) करवाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको कहीं भी भटकने की जरूरत नहीं है। यह सभी प्लान के बीमा आपको न्यू इंडिया एश्योरेंस (New India Assurance), बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस (Bajaj Allianz General Insurance) और गो डिजिट जनरल इंश्योरेंस (Go Digit General Insurance) जैसी बीमा कंपनियां में मिल जाएगा। जहां से आप सरलता से आवेदन कर सकते हैं।
ट्रैक्टर अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न फिचर्स के साथ आता है. इस लेख में हम भारत में वर्ष 2023 के पांच सबसे महंगे ट्रैक्टरों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है. इन ट्रैक्टरों ने अपनी प्रभावशाली विशेषताओं, विश्वसनीयता और प्रतिस्पर्धी कीमतों के कारण लोकप्रियता हासिल की है।
कृषि क्षेत्र सहित विभिन्न कार्यों को करने में ट्रैक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ऐसे में हम अपने लेख के जरिए अलग-अलग ट्रैक्टरों की जानकारी लेकर आते रहते हैं. इसी कड़ी में हम आपके लिए इस साल के भारत के 5 सबसे महंगे ट्रैक्टरों की जानकारी लेकर आए हैं. इन ट्रैक्टरों को भारी भार को कुशलतापूर्वक संभालने और बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है. अधिक जानकारी के लिए लेख पढ़ना जारी रखें।
Swaraj 855 FE
स्वराज 855 एफई (Swaraj 855 FE)
स्वराज 855 एफई एक शक्तिशाली ट्रैक्टर है जो एक मजबूत इंजन और उन्नत सुविधाओं से लैस है. यह एक 3-सिलेंडर इंजन द्वारा संचालित है, जो विभिन्न कृषि कार्यों के लिए कुशल प्रदर्शन और विश्वसनीय बिजली उत्पादन प्रदान करता है. स्वराज ट्रैक्टर के अटैचमेंट्स को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है, जो किसानों के उत्पादकता बढ़ाने के लिए कल्टीवेटर, हल और हार्वेस्टर जैसे उपकरणों को आसानी से जोड़ने और उपयोग करने में मददगार है. अगर इसके वजन की बात करें तो स्वराज 855 एफई का कुल वजन 2440 किलोग्राम है जो भारी भरकम वजन उठाने में भी सक्षम है. ट्रैक्टर में 8 आगे और 2 रिवर्स गियर हैं, जो कई दिशाओं में घूमने के लिए सक्षम है. इसके अलावा इसमें पावर स्टीयरिंग की सुविधा है, जो सहज गतिशीलता प्रदान करता है और लंबे समय तक उपयोग के दौरान थकान को कम करता है. भारत में स्वराज 855 FE की कीमत 7.90-8.40 लाख रुपये के बीच है।
Swaraj 744 FE
स्वराज 744 एफई (Swaraj 744 FE)
स्वराज 744 एफई तेल में डूबे ब्रेक वाला 48 एचपी ट्रैक्टर है. स्वराज 744 FE ट्रैक्टर को विभिन्न अटैचमेंट्स को समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो इसे विभिन्न कृषि कार्यों के लिए बहुमुखी बनाता है।
इस स्वराज ट्रैक्टर का अधिकतम कुल वजन 2345 किलोग्राम है जो संचालन के दौरान स्थिरता प्रदान करता है और विभिन्न इलाकों में आसानी से नेविगेट करने के लिए पर्याप्त फुर्तीला रहता है. ये ट्रैक्टर 8F+2R के साथ आता है, जिससे ऑपरेटर आसानी से कई दिशाओं में जा सकते हैं. इसमें 3 चरणों वाले वेट एयर क्लीनर के साथ 2000 इंजन रेटेड RPM है. स्वराज 744 एफई ट्रैक्टर में पावर स्टीयरिंग है, जो सटीक और सहज चालन को सक्षम बनाता है. भारत में स्वराज 744 FE की कीमत 6.90-7.40 लाख रुपये के बीच है।
कुबोटा एमयू 4501 2डब्ल्यूडी (Kubota MU 4501 2WD)
Kubota MU 4501 2WD ट्रैक्टर एक विश्वसनीय और कुशल मशीन है जिसे विभिन्न कृषि कार्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसमें एक शक्तिशाली इंजन है जो असाधारण प्रदर्शन और ईंधन दक्षता सुनिश्चित करता है. ट्रैक्टर में 4-सिलेंडर इंजन है. इस Kubota ट्रैक्टर मॉडल को आसानी से हल, कल्टीवेटर, लोडर जैसे उपकरणों के साथ लगाया जा सकता है, जिससे खेत में इसकी बहुमुखी प्रतिभा और उत्पादकता का विस्तार होता है।
अगर इसके वजन की बात करें तो ट्रैक्टर 1850 किलोग्राम के कुल वजन के साथ शक्ति और गतिशीलता के बीच संतुलन बनाता है. ट्रैक्टर क्रमशः 8 और 4 के फॉरवर्ड और रिवर्स गियर के साथ आता है जो कई दिशाओं में घूमने के लिए सक्षम है. इसमें 5000 घंटे या 5 साल की वारंटी के साथ तेल में डूबे हुए डिस्क ब्रेक हैं. भारत में Kubota MU 4501 2WD की कीमत 7.69-7.79 लाख रुपये के बीच है।
Powertrac Euro 50
पॉवरट्रैक यूरो 50 (Powertrac Euro 50)
पॉवरट्रैक यूरो 50 ट्रैक्टर एक मजबूत और कुशल मशीन है जिसे कृषि कार्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसमें एक उच्च-प्रदर्शन इंजन है जो विश्वसनीय शक्ति और ईंधन दक्षता प्रदान करता है. ट्रैक्टर में 3-सिलेंडर इंजन है, जो खेती के विभिन्न कार्यों के लिए सुचारू और कुशल संचालन सुनिश्चित करता है।
यह पॉवरट्रैक मॉडल आसानी से हल, कल्टीवेटर, हैरो आदि जैसे उपकरणों से जुड़ सकता है, जिससे खेत में इसकी बहुमुखी प्रतिभा और उत्पादकता में वृद्धि होती है. इस ट्रैक्टर में 50 एचपी है और यह मल्टी प्लेट तेल में डूबे डिस्क ब्रेक के साथ आता है. इसका कुल वजन 2140 किलोग्राम और 2040 एमएम का कुल व्हीलबेस है. पॉवरट्रैक यूरो 50 ट्रैक्टर एक विश्वसनीय और बहुमुखी मशीन है, जो विभिन्न कृषि अनुप्रयोगों में किसानों की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शक्ति, दक्षता और आराम का संयोजन करती है. भारत में पॉवरट्रैक यूरो 50 की कीमत 7.31-7.75 लाख रुपये के बीच है।
John Deere 5050 D
जॉन डीरे 5050 डी (John Deere 5050 D)
जॉन डियर 5050 डी एक उच्च प्रदर्शन वाला ट्रैक्टर है जो अपनी गुणवत्ता और टिकाऊपन के लिए जाना जाता है. यह एक मजबूत इंजन से लैस है जो उत्कृष्ट शक्ति और दक्षता प्रदान करता है. ट्रैक्टर में 3-सिलेंडर इंजन है, जो कृषि कार्यों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए बेहतर प्रदर्शन और विश्वसनीय संचालन प्रदान करता है.
यह आसानी से हल, कल्टीवेटर, सीडर्स जैसे अन्य उपकरणों से जुड़ सकता है, जिससे किसानों को अपने कार्यों को कुशलतापूर्वक करने और उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलती है. इसका वजन लगभग 1870 किलोग्राम है जो ऑपरेशन के दौरान स्थिरता सुनिश्चित करता है और विभिन्न इलाकों में आसानी से नेविगेट करने के लिए फुर्तीला है. ये 8 आगे और 4 रिवर्स गियर के साथ आता है, जिससे ऑपरेटर आसानी से कई दिशाओं में जा सकते हैं. यह तेल में डूबे हुए डिस्क ब्रेक के साथ 60 लीटर की ईंधन टैंक क्षमता के साथ आता है. भारत में जॉन डीरे 5050 डी की कीमत 7.99-8.70 लाख रुपये के बीच है।
इस वित्तपोषण सुविधा के अंतर्गत सभी ऋणों पर 3% प्रति वर्ष का ब्याज अनुदान प्रदान किया जाएगा, जिसकी अधिकतम लिमिट रू.2 करोड़ होगी। यह अनुदान अधिकतम 7 साल की अवधि के लिए उपलब्ध होगीI
मुख्य विशेषताएं
केंद्र या राज्य सरकार की सभी योजनाओं के साथ अभिसरण।
भाग लेने वाले ऋणदाता संस्थानों के सहयोग से ऑनलाइन सिंगल विंडो सुविधा।
परियोजना तैयार करने सहित परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान करने के लिए परियोजना प्रबंधन इकाई।
वित्तपोषण सुविधा का आकार – ₹ 1 लाख करोड़।
₹ 2 करोड़ तक के ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी।
3% प्रति वर्ष का ब्याज सबवेंशन, एक स्थान पर ₹ 2 करोड़ प्रति परियोजना तक सीमित है, हालांकि ऋण राशि अधिक हो सकती है।
उधार दर पर कैप, ताकि ब्याज सब्सिडी का लाभ लाभार्थी तक पहुंचे और किसानों को सेवाएं सस्ती रहें।
वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों, आरआरबी, लघु वित्त बैंकों, एनसीडीसी, एनबीएफसी आदि सहित कई उधार देने वाले संस्थान।
एक पात्र संस्था विभिन्न स्थानों पर परियोजनाएँ लगाती है तो ऐसी सभी परियोजनाएँ योजना के तहत ₹ 2 करोड़ तक के ऋण के लिए पात्र होंगी।
एक निजी क्षेत्र की संस्था, जैसे कि किसान, कृषि उद्यमी, स्टार्ट-अप के लिए अधिकतम 25 ऐसी परियोजनाओं की सीमा होगी।
25 परियोजनाओं की सीमा राज्य एजेंसियों, सहकारी समितियों के राष्ट्रीय और राज्य संघों, एफपीओ के संघों और स्वयं सहायता समूहों के संघों पर लागू नहीं होगी।
नेशनल एग्रीकल्चर इंफ्रा फाइनेंसिंग फैसिलिटी
कृषि विकास और उत्पादन की गतिशीलता को अगले स्तर तक ले जाने के लिए बुनियादी ढांचे की भूमिका महत्वपूर्ण है। केवल बुनियादी ढाँचे के विकास के माध्यम से, विशेष रूप से कटाई के बाद के चरण में, मूल्य संवर्धन और किसानों के लिए उचित सौदे के अवसर के साथ उत्पाद का इष्टतम उपयोग किया जा सकता है। इस तरह के बुनियादी ढांचे के विकास से प्रकृति की विषमताओं, क्षेत्रीय विषमताओं, मानव संसाधन के विकास और हमारे सीमित भूमि संसाधनों की पूरी क्षमता का एहसास भी होगा।
उपरोक्त को देखते हुए, माननीय वित्त मंत्री ने 15.05.2020 को किसानों के लिए फार्म-गेट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ के एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की घोषणा की। रुपये की वित्तपोषण सुविधा। फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदुओं (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप, आदि) पर कृषि अवसंरचना परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे। फार्म गेट और एग्रीगेशन पॉइंट के विकास के लिए प्रोत्साहन, किफायती और आर्थिक रूप से व्यवहार्य पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर।
तदनुसार, डीए एंड एफडब्ल्यू ने प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता के माध्यम से पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर और सामुदायिक कृषि संपत्तियों से संबंधित व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए एक मध्यम-दीर्घावधि ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना तैयार की है।
इसके बाद, 01.02.2021 को की गई बजट घोषणा में, योजना का लाभ एपीएमसी को देने का निर्णय लिया गया। तदनुसार, योजना को और अधिक समावेशी बनाने के लिए मंत्रिमंडल के अनुमोदन से इसमें संशोधन किए गए।
माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) योजना के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के तहत 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए इस वित्तपोषण सुविधा से पात्र उधारकर्ताओं के लिए क्रेडिट गारंटी कवरेज उपलब्ध होगा। इस कवरेज के लिए शुल्क का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा। एफपीओ के मामले में डीए एंड एफडब्ल्यू की एफपीओ प्रोत्साहन योजना के तहत बनाई गई सुविधा से क्रेडिट गारंटी का लाभ उठाया जा सकता है।
इस वित्तपोषण सुविधा के तहत सभी ऋणों में ₹ 2 करोड़ की सीमा तक 3% प्रति वर्ष का ब्याज सबवेंशन होगा। यह आर्थिक सहायता अधिकतम 7 वर्ष की अवधि के लिए उपलब्ध होगी। 2 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण के मामले में, ब्याज अनुदान 2 करोड़ रुपये तक सीमित होगा। कुल वित्त पोषण सुविधा में से निजी उद्यमियों को वित्त पोषण की सीमा और प्रतिशत राष्ट्रीय निगरानी समिति द्वारा तय किया जा सकता है।
योजना 2020-21 से 2032-33 तक चालू रहेगी। योजना के तहत ऋण वितरण छह साल में पूरा होगा।
आजकल सभी किसान अपनी आय को बढ़ाने के लिए धान, गेहूं के साथ अन्य फसलों की खेती भी कर रहे हैं। कई लोगों को इससे बड़ा मुनाफा हुआ है। आज हम आपको खेती की तीन ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं। जो आपको चंद दिनों में करोड़पति बना देंगी।
एक्जोटिक वेजिटेबल की खेती
आज के समय में लगभग सभी किसान अपनी आय को मजबूत करने के लिए खेतों में धान-गेहूं के अलावा भारी मात्रा में अन्य फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। जिनमें कई किसान बढ़िया मुनाफा कमाने में भी सफल हैं। वैसे तो खेती से जुड़े व्यवसाय के बारे में हम आपको पहले भी बता चुके हैं। लेकिन आज जिन फसलों व खेती से जुड़े व्यापार के बारे में बताने जा रहे हैं। उससे किसान चंद दिनों में करोड़पति बन सकते हैं। वहीं, उनमें लागत भी बहुत कम है. तो आइए खेती से जुड़े चार व्यवसाय पर एक नजर डालें।
मशरूम की खेती
मशरूम की खेती
मशहूर की खेती से किसान जबरदस्त कमाई कर सकते हैं। भारत में मुख्य तौर पर तीन तरह के मशरूम की खेती होती है. जिनमें बटन मशरूम, ओएस्टर मशरूम व मिल्की मशरूम शामिल हैं। इनमें भी बटन मशरूम का उत्पादन सबसे अधिक होता है। अगर एक एकड़ बटन मशरूम की खेती की बात करें तो उसमें लागत कम से कम 70 हजार रुपये आता है। जिससे महज तीन महीने में लगभग तीन लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। बता दें कि बटन मशरूम की खेती सितंबर व अक्टूबर में होती है। वहीं, यह महज एक महीने में तैयार हो जाते हैं। इसकी खेती के लिए शेड की व्यवस्था करना बहुत जरूरी है। क्योंकि तैयार होने के बाद खुले में मशरूम खराब होने लगते हैं।
मधुमक्खी पालन
मधुमक्खी पालन
अगर कम लागत में खेती से जुड़े व्यवसाय करके ज्यादा पैसा कमाना चाहते हैं तो मधुमक्खी पालन भी बढ़िया ऑप्शन है। इस बिजनेस को शुरू करने से पहले ट्रेनिंग लेना बहुत जरुरी है। इसकी ट्रेनिंग लगभग 30 दिनों तक होती है। इस व्यवसाय को शुरू करने में किसानों को लगभग दो लाख रुपये तक खर्च करना पड़ सकता है। वहीं, शहद बेचकर साल में इससे पांच से छह लाख रुपये तक कमाई आसानी से हो सकती है।
इन तीन खेती से करोड़पति बन जाएंगे किसान
एक्जोटिक वेजिटेबल की खेती
गांव से लेकर शहरों तक एक्जोटिक वेजिटेबल की मांग काफी तेजी से बढ़ रही है। इनमें चेरी टमाटर, लाल शिमला मिर्च, धनिया, लाल गोभी आदि शामिल हैं। बाजार में इन सब्जियों का भाव भी काफी अच्छा मिलता है। वहीं, इनकी खेती में लागत भी बहुत कम आती है। किसान बताते हैं कि इन सब्जियों को उगाने में एक से दो महीने का समय लगता है। वहीं, साल भर में इन सब्जियों से लगभग पांच लाख रुपये तक का फायदा मिल जाता है।
आज देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी पड़ने के आसार हैं। आइये जानें कैसा रहेगा आज मौसम का हाल।
कई जगहों पर पड़ेगी भीषण गर्मी
दिल्ली और आसपास के इलाकों में कुछ दिन पहले तक बारिश के चलते मौसम सुहाना रहा। लोगों को गर्मी से राहत मिली। लेकिन अब फिर उन्हें भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए पूर्वानुमानों में बताया गया है कि अगले पांच दिनों तक दक्षिण भारत के कई इलाकों में बारिश हो सकती है। अगर आज की बात करें तो केरल, लक्षद्वीप, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में छिटपुट बारिश का अनुमान है। वहीं, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के कुछ जगहों पर आज भारी बारिश हो सकती है।
इन इलाकों में भारी बारिश
वहीं, अगर पूर्वोत्तर भारत की बात करें तो आज मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में अलग-अलग जगहों पर भारी बारिश हो सकती है। बुधवार को बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम के अलग-अलग इलाकों में लू की गंभीर स्थिति बनी रही। इन क्षेत्रों में लगातार 8वें दिन लू का कहर जारी रहा। वहीं, आज भी मौसम विभाग ने बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, आंध्र प्रदेश, यनम, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में लू चलने की संभावना जताई है।
यहां चलेगी आंधी
आज राजस्थान के कई जगहों पर गरज-चमक के साथ धुल भरी आंधी चलने की संभावना है। वहीं, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में तापमान सामान्य रहने का अनुमान है। इसके अलावा, आज गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मौसम साफ रहने वाला है। इन राज्यों के लोग आज भीषण गर्मी का सामना कर सकते हैं।
वहीं, आज अरब सागर और आस-पास के क्षेत्रों में 170 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है। ऐसे में मछुआरों को अरब सागर से सटे इलाकों से दूर रहने की सलाह दी गई है।