आज हम अपने इस लेख में भगवान श्रीराम (Bhagwan Shree Ram) के उस फल के बारे में बताएंगे. जो उन्होंने वनवास के दौरान खाया था.
Lord Shriram ate this fruit during exile
फल खाने से व्यक्ति अधिक आयु में भी कम ऊम्र का दिखाई देता है. डॉक्टर भी तबीयत खराब होने पर मरीज को फल खाने की सलाह देते हैं. ताकि वह जल्दी से स्वस्थ हो सके. आज हम आपको ऐसे एक फल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका सेवन भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान किया था. देखा जाए तो आज की इस आधुनिक भरी दुनिया में भी इस फल को बहुत ही ज्यादा चमत्कारी माना जाता है. कहते हैं कि इसे खाने से व्यक्ति के शरीर के अंदर के कई रोग नष्ट हो जाते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस फल का नाम कंदमूल है, जिसे वनवास के दौरान भगावन श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने खाया था. आज के समय में भारत के विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. लेकिन उत्तर भारत में रामकंद या रामफल, तमिलनाडु में बूमी सक्कराईवल्ली किझांगु नाम से इस फल की पहचान की जाती है. तो आइए इस लेख में कंदमूल फल के बारे में विस्तार से जानते हैं…
कंदमूल फल
इस फल में कई तरह के पौष्टिक गुण पाएं जाते हैं, जो एक बीमार शरीर को भी जल्दी से ठीक कर देते हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में भी कंदमूल फल का जिक्र किया गया है. बता दें कि अगर आप इस फल को देखेंगे तो यह एक सिलेंडर की तरह आपको दिखाई देगा और इसका रंग भूरा होता है. चेन्नई में तो इस फल को इतना अहमियत दी गई है कि वह इसे दुर्लभ कैटेगरी की श्रेणी में रखा गया है.
कंदमूल फल की खेती
कंदमूल फल की कोई खेती नहीं की जाती है. दरअसल, यह फल खुद ब खुद जंगलो में उग जाता है. इस फल को उगने में लगभग 12 से 15 साल का समय लगता है. अगर आप इस फल को एक बार खाते हैं, तो आप पूरे दिन तक बिना कुछ खाए रह सकते हैं. यानि इसे खाने से इंसान को काफी देर तक भूख नहीं लगती है.
कंदमूल फल
कंदमूल फल खाने के फायदे
यह फल इम्यून सिस्टम को कई गुना ज्यादा मजबूत बनाने में मददगार है.
कई तरह के खतरनाक संक्रमण से लड़ने में यह लाभकारी है
इसके अलावा यह फल खांसी, अस्थमा, कंजेशन और ब्रोंकाइटिस बीमारी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
यह फल गठिया, जोड़ों के दर्द और सूजन जैसी बीमारी से लोगों को मुक्ति दिलाता है.
बढ़ते जल प्रदूषण (Water Pollution) को देखते हुए अगर आप भी कुछ इस क्षेत्र में कुछ नया कर लोगों की मदद करना चाहते हैं, तो यह व्यवसाय आपका अच्छा विकल्प बन सकता है। क्योंकि इस दौर में स्वच्छ पानी (Clean water) की मांग गांव व शहर दोनों में लगातार बढ़ती जा रही है।
Water ATM
आज के इस दौर में हर व्यक्ति अधिक पैसा कमाना चाहता है। लेकिन इसके लिए उन्हें सही और अच्छा बिजनेस करना होता है ,अगर आप भी हाल फिलहाल में अधिक आय कमाने वाला बिजनेस शुरु करना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। दरअसल, जिस व्यवसाय की हम बात करने जा रहे हैं, वह वाटर एटीएम का बिजनेस (Water ATM Business) है, जिसकी आज के समय में सबसे अधिक मांग है।
क्या हैWaterATM मशीन? (What is WaterATM machine?)
अक्सर देखा गया है कि छोटे-बड़े शहरों में लोग WaterATM लगाकर अच्छा पैसा हर महीने कमा रहे हैं. बता दें कि यह एक तरह की मशीन है, जिसमें स्वच्छ व पीने लायक पानी आता है. इस मशीन के अंदर आधुनिक मशीनों के द्वारा पानी को स्वच्छ करके पीने लायक बनाया जाता है जिसे बहुत ही कम दामों में लोगों को उपलब्ध कराया जाता है. इस मशीन में ठंडा व गर्म दोनों तरह का पानी आता है. इस मशीन से ठंडा व गर्म पानी (Cold and hot Water from Machine) के लिए आपको इसमें सिक्के डालने होंगे जिसके बाद आपको अपकी राशि के मुताबिक, खुद ही पानी भरकर यह मशीन दे देगी।
मशीन लगवाते समय इन बातों का रखें ध्यान
अगर आप WaterATM मशीन को लगाना चाहते हैं, तो आप हमेशा ऐसे कंपनी की मशीन का चयन करें, जिसकी गुणवत्ता अच्छी हो और वह लंबे समय तक चल सके।
मशीन के लिए आपको लगभग 50 से 200 वर्ग फुट तक का स्थान लेना होगा।
साथ ही इस बात भी ध्यान रहे कि मशीन को सुचारु रुप से चलाने के लिए कामर्शियल इलेक्ट्रिक कनेक्शन (Commercial Electric Connection) होना चाहिए।
इन स्थानों पर मशीन को लगाएं मिलेगा डबल मुनाफा
अगर आप इस मशीन से अच्छा पैसा कमाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको स्थान का भी चयन सही तरीके से करना होगा. ऐसे स्थान का चयन करें, जहां लोग आते-जाते हों और भीड़-भाड़ बनी रहे. जैसे कि-
स्कूल व कॉलेज के बाहर
बाजार (Market)
बस स्टेंड पर
रेलवे स्टेशन (Railway Station)
निजी व सरकारी अस्पताल के पास
ऑफिस क्षेत्रों के पास
मॉल, पैट्रोल पंप पर
टूरिस्ट प्लेस पर आदि.
Water ATM Machine
इस मशीन को ऐसे लगवाएं
भारत में ऐसी कई सारी कंपनियां हैं, जो WaterATM मशीन को बनाने का काम करती हैं. अलग-अलग कंपनी की अपने स्तर पर विभिन्न मशीन होती हैं, जिसकी कीमत 25 हजार रुपए से लेकर लाखों रुपए तक होती है।
अगर आप दिल्ली में रहते हैं, तो आप इस मशीन को लगवाने के लिए सीधे तौर पर दिल्ली जल बोर्ड से संपर्क कर सकते हैं जिससे आपको जिस भी स्थान पर मशीन को लगाना है उसके लिए परमिशन मिल सके. (दिल्ली जल बोर्ड हेल्पलाइन नंबर 1916, 155355, 155345)।
कॉल के बाद कर्मचारी आपके क्षेत्र का मुआयना करेंगे. सब कुछ सही होने पर आपको मशीन लगाने की मंजूरी सरलता से मिल जाएगी. ठीक इसी तरह से आप जिस भी राज्य में रहते हैं. वहां के जल बोर्ड से संपर्क कर WaterATM मशीन लगाने की मंजूरी पा सकते हैं।
मशीन के लिए लें लोन
आपके पास WaterATM मशीन लगाने के लिए पैसे नहीं हैं, तो इसके लिए आप अपने किसी भी नजदीकी बैंक से भी संपर्क कर सकते हैं, जो इस तरह की मशीन लगाने के लिए लोगों को लोन की सुविधा उपलब्ध कराती है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश के कुछ बैंक इस मशीन के लिए कम ब्याज दर पर भी लोन उपलब्ध करवाते हैं. लेकिन इस बात का जरूर ध्यान रखें कि बैंक भी आपका लोन पास करने के लिए कई तरह के नियमों का पालन करना होता है. जैसे कि बैंक को अपने बिजनेस का एक प्रोजेक्ट तैयार करके उन्हें समझाना होगा और साथ ही प्रोजेक्ट की एक कॉपी बैंक में जमा करनी होगी. इसके बाद बैंक का एक कर्माचरी आपके उस क्षेत्र का सर्वे करने के लिए आएगा, जहां पर आप इस मशीन को लगाने वाले हैं. इसके बाद ही आपका लोन पास किया जाएगा।
Water ATM Machine
घर बैठे ऐसे लगवाएं मशीन
अगर आपको बाजार में मिलने वाली मशीन की सही जानकारी नहीं हैं, तो आप ऐसे कंपनियों से भी संपर्क कर सकते है, जो आपके बजट के मुताबिक, खुद सभी कार्यों को करके आपके क्षेत्र में मशीन को लगाकर देंगी। इसके लिए बस आपको ऑनलाइन आवेदन (Online Application) करना होगा।
इसके बाद आपको Join us के विकल्प पर जाना है. फिर Franchise के विकल्प पर जाना है।
इसके बाद आपसे पूछी गई सभी जानकारी को विस्तार से दर्ज करना होगा।
सभी जानकारी सही होने पर कंपनी के कर्मचारियों के द्वारा आपको फोन किया जाएगा जिसमें आपसे पूछा जाएगा कि कहां और किस तरह की Water ATM मशीन को आप लगाना चाहते हैं।
फिर आपके पास कुछ दिनों के बाद कंपनी के कर्मचारी आएंगे और मशीन को लगाकर आपको सौंप जाएंगे।
ऑनलाइन इन वेबसाइट्स से खरीदेंWaterATM मशीन
आज के इस आधुनिक समय में ऐसे कई तरह के प्लेटफॉर्म आ गए हैं, जो बड़ी-बड़ी मशीन को भी ऑनलाइन बेचने का काम करते हैं. वो भी लोगों के बजट के मुताबिक मशीन को बेचते हैं. इसी के चलते की ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर WaterATM मशीन को ऑनलाइन बेचा जाता है, जिसमें उस मशीन से जुड़ी सभी डिटेल व अन्य कई तरह की महत्वपूर्ण जानकारी दी गई होती है। ताकि ग्राहक को इसे खरीदने में किसी भी तरह की परेशानी न हो।
Prime Minister Narendra Modi will inaugurate the two-day 17th Indian Cooperative Congress on July 1 in the national capital and launch an e-commerce platform NCUI Haat for cooperative products.
Modi will also unveil a cooperative extension and advisory services portal, focusing on a ‘learning management system’ that provides information and services for cooperative members, leaders, managers and the general public.
The prime minister will also unveil a book on ‘Cooperative Growth and Trends in India’, a souvenir on cooperative movement, training modules on “Members’ role in cooperative” and “Governance in cooperatives”, besides a film on the initiatives of the Cooperation Ministry.
Union Home and Cooperation Minister Amit Shah will preside over the inaugural session of the Congress — organised by the National Cooperative Union of India (NCUI) — that will focus on the theme “Amrit Kaal — Prosperity through cooperation for a vibrant India”.
Lok Sabha Speaker Om Birla will be a chief guest at the valedictory function on July 2. Chemical and Fertiliser Minister Mansukh Mandaviya and Animal Husbandry, Fishery and Dairying Minister Parshottam Rupala will also be present.
“The objective of the Congress is to discuss and deliberate upon the key issues, confronting the cooperative sector and chalk out an effective roadmap for the ‘Amrit Kaal’,” NCUI President and IFFCO Chairman Dileep Sanghani said in a press conference here.
The prime minister will launch NCUI’s e-commerce platform ‘NCUI Haat’ for cooperative products. This will facilitate capacity-building support in registration, branding and promotion of products free of cost, he said.
The prime minister’s inaugural address will give a new direction and guidance to the cooperatives working in different fields. The event will be attended by not only 3,500 delegates of cooperative organisations from all over the country but also from across the globe, Sanghani added.
This year’s Indian Cooperative Congress coincides with the International Day of Cooperatives, which is celebrated on the first Saturday of July annually, said International Cooperative Alliance Asia-Pacific (ICA-AP) President and KRIBHCO Chairman Chandra Pal Singh Yadav.
Representatives from eight countries — including Nepal, Bangladesh, Sri Lanka, Iran, Malaysia, Philippines and Papua New Guinea — will attend the event. Besides, representatives from 34 countries, who are members of ICA, will join the event virtually.
The technical sessions will focus on some key issues: cooperative legislation and policy reforms; cross-sectoral collaboration for strengthening cooperative movement; strengthening cooperative education, training and research; ease of doing business for competitive cooperative business enterprises; innovation and technology for cooperative governance; promoting gender equality and social inclusion; and importance of cooperative credit system in the Indian economy.
मोटे अनाजों में सबसे प्रमुख रूप में उत्पादित किया जाने वाला बाजरा आज भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में खाद्य पूर्ती के लिए चुना जाने वाला अनाज है। तो आइये जानें कि क्यों यह है इतना ज्यादा ख़ास।
History of millet in India
बाजरा आज से 50 साल पहले, भारत में सबसे व्यापक रूप से उगाए जाने वाले खाद्य पदार्थों में से एक था। कोरियाई प्रायद्वीप में बाजरा का इतिहास 3500-2000 ईसा पूर्व का है. भारत में, खाद्य इतिहास में बाजरा का उल्लेख सबसे पुराने यजुर्वेद ग्रंथों में मिलता है।
कई किस्मों में मिलता है बाजरा
भारत में अनाज के विकास के शुरुआती इतिहास में मुख्य रूप से लोकप्रिय तीन प्रकार के बाजरा की पहचान की गई है: फॉक्सटेल बाजरा, बार्नयार्ड बाजरा, और काली फिंगर बाजरा। इसके अलावा ज्वार, मोती, रागी, प्रोसो, कोदो सभी बाजरा की किस्में हैं। विभिन्न प्रकार के भारतीय व्यंजनों में अनाज का अपना गौरवपूर्ण स्थान था, हालांकि बाद में इसकी शोभा कम हो गई और बाद में इसे घटिया, मोटे अनाज के रूप में माना जाने लगा – जो ज्यादा अच्छे खाने के स्वाद के लिए गिने जानें वाले व्यंजनों की लिस्ट से अलग कर दिया गया था।
बाजरा में पाए जानें वाले पोषक तत्व
Carbs
65-75%
Protein
7-12%
Dietary Fibre
15-20%
Fat
2-5%
Magnesium
10% of the daily value
Manganese
13% of the daily value
Phosphorous
8% of the daily value
Copper
17% of the daily value
History of millet in India
लोगों ने क्यों बना ली इस खाद्यान्न से दूरी
कई अन्य आदतों की तरह, भारतीयों ने भी अपने भोजन की आदतों को पश्चिमी स्वाद के अनुसार बदल दिया। स्वदेशी खाद्य पदार्थ तेजी से छूट गए। अंततः बाजरा जैसे खाद्यान्नों की कीमत कम हो गई क्योंकि इसे गेहूं या चावल की तुलना में घटिया विकल्प माना गया। हरित क्रांति से पहले, बाजरा खेती किए गए अनाज का 40 प्रतिशत बनता था – जो चावल उत्पादन से अधिक योगदान देता था।
मांग से साथ उत्पादन में भी आई गिरावट
पिछले कुछ वर्षों में, कृषि के साथ-साथ पर्यावरणीय परिणामों के कारण बाजरा उत्पादन में अनाज उत्पादन का 40 प्रतिशत हिस्सा घटकर लगभग 10 प्रतिशत रह गया है। चावल और गेहूं भारतीय भोजन बन गए हैं। हाल के वर्षों में भारत में धीरे-धीरे बाजरा-समर्थक आंदोलन शुरू हुआ।
History of millet in India
देश में बाजरा से सम्बंधित आकड़ें
एसोचैम के अनुसार, भारत दुनिया में बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में बाजरा लगभग 21 राज्यों में उगाया जाता है।राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, उत्तराखंड, झारखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में प्रमुख प्रोत्साहन है। भारत में, बाजरा की खेती 12.45 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है, जिससे 1247 किलोग्राम/हेक्टेयर की उपज के साथ 15.53 मिलियन टन का उत्पादन होता है। क्षेत्रफल (3.84 मिलियन हेक्टेयर) और उत्पादन (4.31 मिलियन मीट्रिक टन) के मामले में चावल, गेहूं और मक्का के बाद ज्वार भारत का चौथा सबसे महत्वपूर्ण खाद्यान्न है। बाजरा (7.05 मिलियन हेक्टेयर) उत्पादन के लगभग बराबर प्रतिशत के साथ देश के बाजरा क्षेत्र में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान दे रहा है। यह जानना दिलचस्प है कि, भारत बार्नयार्ड (99.9 प्रतिशत), फिंगर (53.3 प्रतिशत), कोडो (100 प्रतिशत) का शीर्ष उत्पादक है।
हर परिस्थिति में देगा साथ
बाजरा आसानी से नष्ट नहीं होता है और कभी-कभी इसकी शेल्फ-लाइफ एक दशक से भी अधिक होती है। इसका पोषण स्तर ऊंचा है, जो भोजन की बर्बादी पर नियंत्रण रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बाजरा रेशेदार होता है,
इसमें मैग्नीशियम, नियासिन (विटामिन बी3) होता है, ग्लूटेन-मुक्त होता है और इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
अगर आप अपने बगीचे में किसी नए पौधे को ग्राफ्टिंग के तहत उगाना चाहते हैं तो आपको इसके लिए इसकी पूरी जानकारी होना बहुत जरुरी हो जाता है। अगर आपको इसकी जानकारी नहीं है तो आपके द्वारा लगाया गया पौधा कुछ ही दिनों में सूख जाएगा।
जरुर जानें ग्राफ्टिंग की यह पांच तकनीकें
हम हमेशा चाहते हैं कि हमारे छोटे से बाग़ में बहुत से फल-फूल के पौधे हों लेकिन जगह की कमी के कारण आप कुछ ही पौधों को अपने बगीचे में जगह दे पाते हैं। लेकिन ग्राफ्टिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके चलते हम एक ही फल की बहुत सी किस्मों को एक ही पौधे में लगा सकते हैं इससे हमको कम जगह में बहुत से फलों का स्वाद एक ही बगीचे से मिल जाता है।
वेनरी ग्राफ्टिंग (Veneer Grafting): इस तकनीक में हम आम के पौधे में छेद करते हैं। जिसके बाद दूसरे पेड़ की कलम को कुछ इस प्रकार सेट करते हैं कि वह उस किए गए छेद में पूरी तरह से फिट हो जाए। पूरी तरह से सेट हो जाने के बाद आपको इसको उस छेद के आस-पास अच्छी तरह से बंद कर देना है। कुछ ही दिनों में आप इसमें एक नए किस्म के आम को देख पाओगे ।
विप ग्राफ्टिंग (Whip Grafting): इस तकनीक में आपको एक पेड़ की छाल को छील कर ग्राफ्टिंग करनी पड़ती है। जिसके लिए आपको पूरी सावधानी के साथ काम करना होता है। आपको इस ग्राफ्टिंग में सबसे पहले एक आम के पेड़ की छाल को थोड़ा छील कर उसमें दूसरे आम के पौधे की जड़ समेत कुछ इस तरह से बांधना होता है कि उसमें बाहरी हवा भी न लगे। सही तरीके से बांधे गए पौधों को कुछ ही समय बाद आप अच्छी तरह से बढ़ता हुआ देखेंगे।
बड ग्राफ्टिंग (Bud Grafting): इस तकनीक में हमको सबसे ज्यादा मौसम का ध्यान देना होता है। यह ग्राफ्टिंग मुख्य रूप से जुलाई से सितंबर के मध्य की जाती है। इसमें दूसरे पौधे की कलम से सभी पत्तियों को हटा कर इसमें सेट करके बाँध दिया जाता है। इसकी देखभाल भी आपको समय-समय पर करते रहना होगा।
साइअन ग्राफ्टिंग (Scion Grafting): इस तकनीक में, एक प्रजननी पौधे (स्कूटल) का चयन किया जाता है। और इसका ऊपरी हिस्सा काट दिया जाता है। जिसके बाद हम एक अन्य पौधे की ग्राफ्टिंग उस कटे हुए स्थान पर करते हैं। साथ ही इसको सही तरीके से बांध देते है।
टॉप वेनीर ग्राफ्टिंग (Top Veneer Grafting): यह ग्राफ्टिंग करने के बाद पुराने पौधे के स्थान पर एक नए पौधे को स्थापित कर दिया जाता है. लेकिन यह प्रक्रिया पूरी तरह से ग्राफ्टिंग पर ही आधारित होती है। जिसमें कुछ समय बाद पुराने पेड़ को हटा दिया जाता है और उसके स्थान पर नए पेड़ को ग्राफ्टिंग की सहयता से बड़ा किया जाता है।
ये थीं कुछ आम ग्राफ्टिंग विधियाँ जो आम के पेड़ों में प्रयोग होती हैं। ग्राफ्टिंग के अलावा भी अन्य विधियाँ भी मौजूद हैं, जो आम के पेड़ों के लिए विशेष आवश्यकताओं और परिस्थितियों पर आधारित हो सकती हैं।
हर साल एक जूलाई को भारत में राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस (National Doctor’s Day) मनाया जाता है। ऐसे में चलिए इसका इतिहास, उद्देश्य और इस बार की थीम जानते हैं।
National Doctor’s Day 2023
कहते हैं कि डॉक्टर धरती पर भगवान का दूसरा रूप है. ये बात सच है क्योंकि समाज को जीवनदान देने का काम डॉक्टर ही करते हैं। अगर डॉक्टर नहीं होते तो किसी भी रोग का इलाज संभव नहीं हो पाता और मानव जीवन संकट में आ जाता। डॉक्टरों की सेवाएं समाज के लिए अनमोल हैं और उनका योगदान समाज की सेहत व भविष्य को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए उनके महत्व को देखते हुए एक दिन तय किया गया है।
भारत में प्रत्येक वर्ष 1 जुलाई को राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस (National Doctor’s Day) मनाया जाता है। यह दिवस डॉक्टरों के महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने और उनकी सेवाओं की सराहना करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। ऐसे में आइये इसके इतिहास, महत्व और उद्देश्य पर नजर डालते हैं।
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस का इतिहास
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस महान वैज्ञानिक डॉ. बिधान चंद्र रॉय के जन्मदिन के रूप में 1 जुलाई को मनाया जाता है। डॉ. बिधान चंद्र रॉय का जन्म एक जुलाई, 1882 को हुआ था और उनकी मृत्यु 80 साल की आयु में 1 जुलाई 1962 को हो गई। उसके बाद डॉ. बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में 1991 से भारत में राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस हर साल 1 जुलाई को मनाया जाने लगा।
कौन हैं डॉक्टर बिधान चंद्र रॉय
डॉ. बिधान चन्द्र रॉय भारतीय चिकित्सा विज्ञान के शिखर प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों में से एक हैं। उन्होंने भारतीय मस्तिष्क रसायन शास्त्र के क्षेत्र में अहम योगदान दिया। जिसके लिए उन्हें भारत रत्न सहित विभिन्न सर्वश्रेष्ठ पुरस्कारों से नवाजा गया है। बता दें कि डॉ. बिधान चंद्र रॉय पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत रहे।
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस का उद्देश्य भारतीय समाज को डॉक्टरों के महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देना और उनकी महत्वाकांक्षा को साझा करना है। यह दिवस डॉक्टरों को सम्मानित करने और उनके योगदान को समझाने का अवसर प्रदान करता है। यह दिवस स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में डॉक्टरों को उनके समर्पण, करुणा और विशेषज्ञता के लिए धन्यवाद देने का अवसर है। यह दिन मरीजों की देखभाल करने और चिकित्सा के क्षेत्र को आगे बढ़ाने में डॉक्टरों की विशेषज्ञता, व्यावसायिकता और निस्वार्थता को पहचानने का अवसर प्रदान करता है।
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस का महत्व
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस के माध्यम से डॉक्टरों की महत्वपूर्णता, उनके समर्पण और उनके द्वारा संघर्ष किए जाने वाले चुनौतियों को मान्यता दी जाती है। यह एक अवसर है जब समाज उनकी सेवाओं के प्रति आभार व्यक्त करता है। यह दिन स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, बीमारियों की रोकथाम और उपचार करने व अपने रोगियों के जीवन को बेहतर बनाने में उनके अथक प्रयासों को स्वीकार करने का दिन है।
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस 2023 की थीम
हर साल राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस अलग-अलग थीम के साथ मनाई जाती है. ऐसे में इस बार की थीम “फैमिली डॉक्टर्स ऑन द फ्रंट लाइन” रखा गया है।
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस कैसे मनाया जाता है?
इस दिन कई संगठन और संस्थान डॉक्टरों को सम्मानित करने और उनके काम के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम और गतिविधियां भी आयोजित करते हैं। इस दिन मरीज़ों के लिए डॉक्टरों के साथ अपनी कहानियां और अनुभव साझा करना भी आम बात है। आप चाहें तो इस दिन कार्ड, फूल या छोटे-छोटे उपहार भेजकर डॉक्टरों के प्रति अपना आभार व्यक्त कर सकते हैं।
आलू की खेती सबसे पहले पेरू देश में शुरु की गई थी। इसको भारत में अंग्रजों द्वारा जहांगीर के शासन काल में लाया गया था।
आलू का इतिहास
History of Potato: आलू का इस्तेमाल हम हर सब्जियों में करते हैं लेकिन क्या आपको आलू के इतिहास के बारे में पता है. भारत में रहने वाले ज्यादातर लोगों की पसंदीदा सब्जी आलू है। आज हम बात इसके इतिहास के बारे में करेंगे और बताएंगे कि कैसे आलू अमेरिका तथा यूरोप के रास्ते भारत में पहुंचा। गेहूं, चावल तथा मक्का के बाद यह चौथी ऐसी फसल है जिसकी सबसे अधिक पैदावार होती है। आज भारत वैश्विक स्तर पर आलू के उत्पादन में चौथे स्थान पर है।
आलू का इतिहास
वैज्ञानिकों के अनुसार आलू की खोज आज से करीब आठ हजार वर्ष पहले की गई थी। इसको सबसे पहले दक्षिण अमेरिका के पेरू देश के किसानों ने उगाया था। इसके बाद यह धीरे-धीरे सोलहवीं सदी में यूरोप के स्पेन देश में पहुंचा। स्पेन में आलू दक्षिण अमेरिका के उपनिवेशिक देशों में पहुंचा और फिर धीरे-धीरे ब्रिटेन सहित यूरोप के सभी देशों में इसकी फसल उगाई जाने लगी। यूरोप पहुंचने के बाद आलू सभी उपनिवेशिक देशों तक पहुंचने लगा और धीर-धीरे पूरी दुनिया में फैल गया।
भारत में कब आया
भारत में पहली बार आलू जहांगीर के शासन के समय में आया था। ऐसा कहा जाता है कि अंग्रेजों ने आलू को भारत देश में लाने का काम किया और फिर पूरे देश में इसको फैलाया गया था। इस तरह धीरे-धीरे यह दुनियाभर में लोकप्रिय बन गया। वर्तमान समय में आयरलैंड और रूस जैसे देश के लोग आलू पर सबसे ज्यादा निर्भर हैं। हमारे देश में आलू से वड़ापाव, चाट, चिप्स, पापड़, फ्रेंचफ्राइस, समोसा, टिक्की, चोखा और तमाम प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं।
भारत के लगभग सभी राज्यों में इसकी खेती की जाती है. भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में इसकी पैदावार सबसे ज्यादा होती है। यह जमीन के नीचे उगने वाली एक फसल है। भारत, चीन और रूस के बाद आलू की सबसे ज्यादा पैदावार करता है। ऐसा बताया जाता है कि भारत में आलू को तब के गवर्नर जनरल वारेन हिस्टिंग्स लेकर आए थे।
भारत में सावन के आगमन से पहले ही कई राज्यों में मानसून की गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। ऐसे में देश के तमाम राज्यों में IMD ने मध्यम से भारी बारिश का अलर्ट जारी कर दिया है।
4 जुलाई तक होगी इन राज्यों में बारिश
जुलाई माह शुरु होने बस एक ही दिन बचा है. लेकिन अभी तक देश के विभिन्न शहरों में बारिश बंद होने का नाम नहीं ले रही है। देखा जाए तो भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य कई राज्यों में बीते कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश से लोगों की दिक्कतें दिन पर दिन बढ़ती जा रही हैं। कई स्थानों पर तो जलभराव की स्थिति के चलते यातायात प्रभावित हो रहा है। बता दें कि मौसम विभाग ने भी आने वाले कुछ दिनों तक कई राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट पहले ही जारी कर दिया है।
दिल्ली में 4 जुलाई तक होगी बारिश
दिल्ली के ज्यादातर हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है जिसके चलते दिल्ली का मौसम ठंडा बना हुआ है। देखा जाए तो रात के समय दिल्लीवासियों को पंखा चलाने के साथ-साथ चादर भी ओड़नी पड़ रही है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में बारिश का यह सिलसिला अभी 4 जुलाई तक जारी रह सकता है। अनुमान है कि इस दौरान दिल्ली में तेज हवाएं व बिजली कड़कने वाली बारिश होने की संभावना है।
मानसून की स्थिति
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के शेष हिस्से में अगले 2 दिनों के दौरान हल्की से भारी बारिश होने की संभावना है। 03 जुलाई तक उत्तराखंड और पश्चिमी राजस्थान सहित मध्य भारत के विभिन्न इलाकों में बारिश को लेकर चेतावनी जारी कर दी है। इसके अलावा मध्य प्रदेश में आज और अगले दो दिनों तक भारी बारिश होने की संभावना है।
मौसम (Weather)
अनुमान है कि अगले 5 दिनों तक कोंकण, गोवा और मध्य महाराष्ट्र के क्षेत्रों में बारिश होने की आंशका जताई गई है। इस दौरान उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम और मेघालय में भारी वर्षा होने की संभावना है। साथ ही केरल और माहे, तटीय इलाकों में हल्की से मध्यम वर्षा होने की उम्मीद है।
मौसम विभाग ने आज दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, विदर्भ, मराठवाड़ा, रायलसीमा, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर और लद्दाख में भी भारी बारिश होने का अलर्ट जारी किया गया है।
टमाटर की कीमत दिल्ली समेत कई शहरों में इन दिनों आसमान छू रही है। इसी बीच, आज हम सभी सब्जियों के भाव बताने जा रहे हैं।
टमाटर के बढ़े भाव के बीच जानें आज क्या है बाकी सब्जियों की कीमत
टमाटर की कीमत आजकल आम लोगों पर कहर बरपा रही है। देश की राजधानी दिल्ली और नोएडा समेत कई शहरों में टमाटर 80-100 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। नोएडा के सब्जी विक्रेता लालजी बताते हैं कि थोक में उन्हें टमाटर 60-70 रुपये किलो मिल रहा है। इसलिए वह खुदरा में टमाटर 80-100 रुपये में बेच रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि भाव बढ़ने का कारण बारिश भी है। बता दें कि टमाटर उत्पादक क्षेत्रों में भीषण गर्मी और भारी बारिश के कारण आपूर्ति में भारी कमी आई है। जिसकी वजह से दिल्ली और कई बड़े शहरों में टमाटर की कीमत में अचानक उछाल देखा जा रहा है।
एक किलो की जगह लोग 250 ग्राम खरीद रहे हैं टमाटर
वहीं, एक अन्य सब्जी विक्रेता देवव्रत ने कहा कि टमाटर महंगा होने के चलते जो लोग पहले रोज 1 किलो टमाटर खरीदते थे. वे अब केवल 200-250 ग्राम खरीद रहे हैं। बता दें कि दो-तीन दिन पहले देशभर के बाजारों में टमाटर की कीमत 10-30 रुपये प्रति किलो थी। इसके अलावा, नोएडा के एक निवासी यशवंत कुमार ने बातचीत में बताया कि टमाटर के रेट अचानक से बढ़ गए हैं। दो दिन पहले उन्होंने टमाटर 25 रुपये किलो के हिसाब से खरीदा था, लेकिन अब उन्हें एक किलो टमाटर के लिए 80 रुपये भुगतान करना पड़ रहा है। अगर लंबे समय तक ऐसा रहा तो मजबूरन उन्हें टमाटर खाने से बचना पड़ेगा। बता दें कि जून में अन्य सब्जियों की कीमत में भी थोड़ी बढ़ोतरी देखी गई है। तो आइये जानें बाजार में कितने दामों पर बिक रही हैं अन्य सब्जियां…
मुख्य सब्जियों की कीमत (Vegetables Price)
प्याज 60 रुपये प्रति किलो
टमाटर 80 रुपये प्रति किलो
हरी मिर्च 60 रुपये प्रति किलो
चुकंदर 50 रुपये प्रति किलो
आलू 20 रुपये किलो
कच्चा केला (केला) 10 रुपये दर्जन किलो
चौलाई की पत्तियां 15 रुपये 1 किलो
आंवला 100 रुपये प्रति किलो
लौकी 25 रुपये प्रति किलो
बेबी कॉर्न 65 रुपये प्रति किलो
शिमला मिर्च 50 प्रति किलो
करेला 30 रुपये किलो
ब्रॉड बीन्स 45 रुपये प्रति किलो
पत्तागोभी 25 रुपये प्रति किलो
फूलगोभी 30 रुपये प्रति किलो
धनिया पत्ती 10 प्रति किलो
खीरा 35 रुपये प्रति किलो
बैंगन 25 प्रति किलो
लहसुन 150 रुपये प्रति किलो
अदरक 78 रुपये प्रति किलो
मशरूम 85 रुपये प्रति किलो
भिंडी 45 रुपये प्रति किलो
मूली 35 रुपये किलो
तुरई 36 रुपये प्रति किलो
पालक 15 प्रति किलो
बारिश की वजह से टमाटर की कमी
हालांकि, ये भाव कुछ इलाकों में कम या ज्यादा भी हो सकते हैं। दूसरी ओर, ओडिशा के खाद्य आपूर्ति मंत्री अतनु सब्यसाची नायक ने भी टमाटर की कीमत के लिए बारिश को जिम्मेदार ठहराया है। अपने बयान में उन्होंने कहा कि हमें जो फीडबैक मिला है, उसके मुताबिक बारिश के कारण टमाटर के रेट बढ़े हैं और इस वक्त ज्यादातर आयात बेंगलुरु से हो रहा है। नायक ने आगे कहा कि बेंगलुरु से परिवहन में कुछ समस्याएं आ रही हैं और हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में चीजें बेहतर होंगी।
प्रदेश के किसानों की भलाई के लिए राजस्थान सरकार ने एक और प्रस्ताव को हाल ही में मंजूरी दे दी है जिसके तहत हजारों की आय में बढ़ोतरी होगी।
Free fish seed will be available to the farmers
राजस्थान सरकार ने राज्य के किसानों की आय को डबल करने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत प्रदेश के हजारों किसानों को लाभ दिया जाएगा। दरअसल, राज्य सरकार किसानों को मछली पालन के व्यवसाय (Fishing Business) की तरफ प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए सरकार किसानों को मछली का बीज (Fish Seed) भी नि:शुल्क उपलब्ध करवा रही है। ताकि किसान सरलता से मछली पालन (Fish farming) से जुड़ी अपनी परेशानी को हल कर अच्छा लाभ पा सके।
कितने किसानों को मिलेगी सुविधा
राज्य सरकार के द्वारा जारी की गई सूचना के द्वारा नि:शुल्क मछली का बीज (Free Fish Seed) प्रदेश के 20 हजार किसानों तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2 करोड़ रुपए की राशि व्यय करने की भी मंजूरी दी है।
किसानों को मिलेंगे यह बीज
मत्स्य विभाग के प्रस्ताव के अनुसार राज्य के हर एक किसान भाई को डिग्गी भारतीय मेजर कॉर्प प्रजाति (Diggy Indian Major Corp Species) रोहू, कतला एवं म्रिगल के 1 हजार आंगुलिका (फिंगरलिंग) आकार के मत्स्य बीज (Fish seed) की सुविधा मिलेगी। जैसा कि आप सभी को ऊपर बताया गया कि इस कार्य के लिए कृषक कल्याण कोष से लगभग 2 करोड़ की राशि व्यय की जाएगी। ताकि किसानों तक बीज सरलता से पहुंच सकें।
किसानों को जिला स्तर पर मिलेगा प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट वर्ष 2023-24 में मत्स्य पालन (Fisheries) व अन्य कई योजनाओं की घोषणा की थी। बताया जा रहा है कि सरकार के इस कार्य के लिए चयनित किसानों को जिला स्तर पर प्रशिक्षण भी मिलेगा।
मत्स्य विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों, कृषि विभाग के ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों के द्वारा राज्य के किसान भाइयों की समस्याओं के निराकरण और नई आधुनिक तकनीकी को लेकर मार्गदर्शन प्रदान करेंगे. ताकि किसान आत्मनिर्भर के साथ-साथ सशक्त भी बन सकें।