images (16)

खरीफ में हरा चारा और ज्वार की बुवाई का समय, बीज दर, उन्नत किस्में, उपज और खरपतवार नियंत्रण

खरीफ में ज्वार की फसल सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। ज्वार की किस्मों में एक कटाई से लेकर तीन-चार कटाईयां देने की क्षमता है। गर्मी के मौसम में उगाई गई ज्वार में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि ज्वार के चारे में धुरिन नामक विषैले पदार्थ की मात्रा विशेषकर गर्मी के मौसम में अधिक हो जाती है। पशुओं के लिए इसका चारा पर्याप्त रूप से पौष्टिक होता है। ज्वार का हरा चारा, कड़वी तथा साइलेज तीनों ही रूपों में पशुओं के लिए उपयोगी है।

खरीफ में ज्वार की फसल सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। ज्वार की किस्मों में एक कटाई से लेकर तीन-चार कटाईयां देने की क्षमता है। गर्मी के मौसम में उगाई गई ज्वार में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि ज्वार के चारे में धुरिन नामक विषैले पदार्थ की मात्रा विशेषकर गर्मी के मौसम में अधिक हो जाती है। पशुओं के लिए इसका चारा पर्याप्त रूप से पौष्टिक होता है। ज्वार का हरा चारा, कड़वी तथा साइलेज तीनों ही रूपों में पशुओं के लिए उपयोगी है।

खेत की तैयारी

इसकी खेती वैसे तो सभी पराक्र की मिट्टी में कि जा सकती है परन्तु दोमट, बलुई दोमट, सर्वोत्तम मानी गई है। ज्वार के लिए खेत को अच्छी तरह तैयार करना आवश्यक है। सिंचित इलाकों में दो बार गहरी जुताई करके पानी लगाने के बाद बत्तर आने पर दो जुताइयां करनी चाहिए।

बुवाई का समय

सिंचित इलाकों में ज्वार की फसल 20 मार्च से 1- जुलाई तक बो देनी चाहिए. जिन क्षेत्रों में सिंचाई उपलब्ध नहीं हैं वहां बरसात की फसल मानसून में पहला मौका मिलते ही बो देनी चाहिए। अनेक कटाई वाली किस्मों/संकर किस्मों की बीजाई अप्रैल के पहले पखवाड़े में करनी चाहिए। यदि सिंचाई व खेत उपलब्ध न हो तो बीजाई मई के पहले सप्ताह की जा सकती है।

चारे की विभिन्न किस्में

एक कटाई देने वाली किस्में–हरियाणा चरी 136, हरियाणा चारी 171 हरियाणा चरी 260, हरियाणा चरी 307, पी.ससी-9 अधिक कटाई वाली किस्में-मीठी सूडान (एस एस जी 59-३), एफ, एस एच 92079 (सफेद मोती) बीज एवं बीज की मात्रा यदि कहत भली प्रकार तैयार हो तो बुवाई सीडड्रील से 2.5 से 4 सेंमी गहराई पर एवं 25-30 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइनों में करें. ज्वार की बीज दर प्रायः बीज के आकार पर निर्भर करती है। बीज की मात्रा 18 से 24 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से बीजाई करें। यदि खेत की तैयारी अच्छी प्रकार न हो सके तो छिटकाव विधि से बुवाई की जा सकती है जिसके लिए बीज की मात्रा में 15-20% वृद्धि आवश्यक है। अधिक कटाई वाली किस्में/संकर किस्मों के ली 8-10 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ के हिसाब से डालें।

खाद एवं उर्वरक

सिंचित इलाकों में इस फसल के लिए 80 किलोग्राम नाइट्रोजन व 30 किलोग्राम फास्फोरस प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। सही तौर पर 175 किलोग्राम यूरिया और 190 किलोग्राम एस एस पी एक हैक्टर में डालना पर्याप्त रहता है। यूरिया की आधी मात्रा और एस एस पी की एक पूरी मात्रा बीजाई से पहले डालें तथा यूरिया की बची हुई आधी मात्रा बीजाई एक 30-35 में 50 किलोग्राम नाइट्रोजन (112 किलोग्राम यूरिया) प्रति हैक्टर बीजाई से पहले डालें। अधिक कटाई देने वाली किस्मों से पहले व 30 किलो नाइट्रोजन प्रति हैक्टर हर कटाई के बाद सिंचाई उपरांत डालने से अधिक पैदवार मिलती है।

सिंचाई

वर्षा ऋतु में बोई गई फसल में आमतौर पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। मार्च व अप्रैल में बीजी गई फसल में पहली सिंचाई बीजाई के 15-20 दिन बाद तथा आगे की सिंचाई 10-15 दिन के अंतर पर करें. मई-जून में बीजी गई फसल में 10-15 दिन के बाद पहली सिंचाई करें तथा बाद में आवश्यकतानुसार करें। अधिक कटाई वाली किस्मों में हर कटाई के बाद सिंचाई अवश्य करें. इससे फुटव जल्दी व अच्छा होगा।

खरपतवार नियंत्रण

ज्वार में खरपतवार की समस्या विशेष तौर पर वर्षाकालीन फसल में अधिक पाई जाती है। सामान्यतः गर्मियों में बीजी गई फसल में एक गोड़ाई पहली सिंचाई के बाद बत्तर आने पर पर करनी चाहिए। यदि खरपतवार की समस्या अधिक हो तो एट्राजीन का छिड़काव् करे। क्योंकि चारे की ज्वार में किसी भी प्रकार के रसायन के छिड़काव को बढ़ावा नहीं दिया जाता।

रोग एवं कीट नियंत्रण

चारे की फसल में छिड़काव् कम ही करना चाहिए तथा छिड़काव् के बाद 25-30 दिन तक फसल पशुओं को नहीं खिलानी चाहिए।

कटाई और एच.सी. एन. का प्रबंध

चारे की अधिक पैदावार व गुणवत्ता के लिए कटाई 50% सिट्टे निकलने के पश्चात करें. एच.सी.एन. ज्वार में एक जहरीला तत्व प्रदान करता अहि। अगर इसकी मात्रा 2000 पी.पी.एम्. से अधिक हो तो यह पशुओं के लिए हानिकारक हो सकता है। 35-40 दिन की फसल में एच.सी. एन की मात्रा अधिक होती है। लेकिन 40 दन के बाद इसकी मात्रा अधिक होती है। लेकिन 40 दिन से पहले नहीं काटना चाहिए। अगर कटाई 40 दिन में करनी अत्यंत आवश्यक हो तो कटे  हुए चारे को पशुओं को खिलाने से पहले 2-3 घंटे तक खुली हवा में छोड़ डे ताकि एच.सी. एन. की मात्रा कुछ कम हो सके।

अधिक कटाई वाली किस्मों में हरे चारे की अधिक पैदवार के लिए पहली कटाई बीजाई के 50 से 55 दिनों के पश्चात एवं शेष सभी कटाईयां 35-49 दिनों के अंतराल पर करें। अगर पहली कटाई देर से की जाए तो सूखे चारे में वृद्धि होती है परन्तु हरे चारे की पैदवार व गुणवत्ता कम हो जाती है। अच्छे फुटाव के लिए फसल को भूमि से 8 -10 सेंटीमीटर की उंचाई पर से काटें।

बीज का बनना

दाने वाली फसल के लिए बीजाई 10 जुलाई तक रकें। इस समय बीजी गई फसल से दाने की पैदवार सबसे ज्यादा मिलती है। जल्दी मिलती है। जल्दी बिजी गई फसलों में मिज कीड़े का आक्रमण इतना अधिक होता है कि दाने का रस चूसने से पैदवार काफी घट जाती है।

उपज

चारे की उपज ज्वार की किस्म तथा कटाई की अवस्था  पर काफी कुछ  निर्भर करती हैं यदि उन्नत तरीकों से खेती की जाए तो एक कटाई वाली फसल से 250-400 क्विंटल व् अधिक कटाई वाली किस्मों से हरे चारे की उपज 500-700 किवंटल प्रति हैक्टर प्रातो हो सकते हैं।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *