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सरकार की ऐसी 5 योजनाएं जो कृषि मशीनों पर देंगी 80% तक सब्सिडी

अगर आप हाल-फिलहाल में खेती करने के लिए कृषि यंत्र (Agricultural machinery) को खरीदने जा रहे हैं, लेकिन आपके पास इन्हें खरीदने के लिए धन नहीं है तो घबराएं नहीं सरकार की इन 5 सरकारी योजनाओं में आवेदन करके कृषि उपकरणों को खरीदने का सपना पूरा कर सकते हैं।

सरकार की 5 कृषि यंत्र योजनाएं
सरकार की 5 कृषि यंत्र योजनाएं

हमारे देश में ज्यादातर लोग खेती-किसानी (Farming) से अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के किसान भाइयों को अच्छी फसल पाने के लिए कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. पहले के समय में किसानों को खेती के लिए अधिक उपकरणों की जरूरत नहीं पड़ती थी। लेकिन जैसे-जैसे समय बदलता जा रहा है ठीक उसी तरह से किसानों के द्वारा खेती करने के तरीकों में भी बदलाव हो रहा है। इस दौर में किसानों के द्वारा अधिक कमाई के लिए खेतों में आधुनिक खेती (Modern Agriculture) की जा रही है। इसके लिए उन्हें कई तरह के कृषि यंत्रों की जरूरत पड़ती है। लेकिन यह खेती-बाड़ी की मशीनें बाजार में बेहद महंगी आती हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में कुछ ऐसे भी किसान हैं, जो पैसे की कमी के चलते खेती के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों को नहीं खरीद पाते हैं। इन्हीं किसानों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के छोटे-बड़े कृषि उपकरणों के लिए कई तरह की बेहतरीन योजनाएं चला रखी हैं। ताकि किसान इन योजनाओं में आवेदन करके सरलता से खेती के लिए कृषि मशीनों (Agricultural Machines) को खरीद कर लाभ प्राप्त कर सकें। आज हम आपने इस लेख में सरकार की ऐसी 5 कृषि उपकरणों की बेहतरीन योजनाओं की पूरी जानकारी लेकर आए हैं।

कृषि मशीन की योजनाओं पर एक नजर

  • पीएम किसान ट्रैक्टर योजना
  • हार्वेस्टर सब्सिडी योजना
  • राजस्थान कृषि श्रमिक संबल मिशन योजना
  • कृषि यंत्र अनुदान योजना
  • फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत कृषि यंत्रों पर अनुदान

आइए इन सभी सरकारी योजनाओं के बारे में एक-एक करके विस्तार से जानते हैं…

पीएम किसान ट्रैक्टर योजना (PM Kisan Tractor Scheme) – सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को खेती से अधिक से अधिक आय कमाकर देना है। सरकार ने इस योजना की शुरुआत साल 2022 में की थी, जिसमें किसानों के द्वारा ट्रैक्टर खरीदने पर सरकार 20 से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध करवाती है। अगर आप भी हाल फिलहाल में खेती के लिए ट्रैक्टर (Tractor for Farming) खरीदने वाले हैं, तो आप पीएम किसान ट्रैक्टर योजना में आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आप अपने नजदीकी जन सेवा केंद्र में जाकर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा कई राज्यों में इस योजना के लिए किसानों के आवेदन ऑनलाइन भी स्वीकार किए जाते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं. –

हार्वेस्टर सब्सिडी योजना (Harvester Subsidy Scheme)- जैसा कि आप जानते हैं कि धान-गेहूं कटाई के लिए हार्वेस्टर मशीन की अहम भूमिका होती है। लेकिन यह मशीन बाजार में बेहद उच्च कीमत पर आती है. मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय बाजार में हार्वेस्टर मशीन लगभग 40 लाख रुपए तक है। इतने अधिक दाम होने के चलते कई किसान इसे खरीद नहीं पाते हैं। इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार हार्वेस्टर मशीन (Harvester Machine) पर भारी सब्सिडी देती है।

बता दें कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (National Agriculture Development Plan) के तहत हार्वेस्टर किसानों को करीब 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। ऐसे में हिसाब लगाया जाए तो इस मशीन के लिए सरकार से 15 लाख रुपए से भी अधिक अनुदान दिया जाता है। सरकार की इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको अपने नजदीकी जन सेवा केंद्र में जाना होगा। जहां से आप सरलता से आवेदन कर पाएंगे।

राजस्थान कृषि श्रमिक संबल मिशन योजना (Rajasthan Agricultural Workers Sambal Mission Scheme)-यह योजना राजस्थान के किसानों के लिए राज्य सरकार ने अपने स्तर पर शुरू की ताकि प्रदेश के किसान आत्मनिर्भर बन सकें और खेती से अधिक लाभ कमा सकें। बता दें कि इस योजना के तहत किसानों को प्रदेश में कृषि उपकरण खरीदने के लिए 5 हजार रुपए तक की सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाती है। अगर आप भी इस योजना में आवेदन करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप नजदीकी कृषि केंद्र में या आधिकारिक कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिंक करें।

कृषि यंत्र अनुदान योजना (Agricultural Machinery Subsidy Scheme) –  इस योजना के तहत राज्य सरकार अपने-अपने स्तर पर खेती से जुड़े विभिन्न उपकरणों पर सब्सिडी की सुविधा उपलब्ध कराती है. हाल ही में राजस्थान सरकार इस योजना के तहत प्रदेश के किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए सब्सिडी दे रही है। इसमें राज्य सरकार ने लगभग 4 लाख रुपए तक की सब्सिडी का प्रावधान तय किया है। साथ ही इस योजना के तहत सरकार भूमिहीन श्रमिकों को भी कृषि यंत्र खरीदने के लिए हर एक परिवार को लगभग 5 हजार रुपए तक का अनुदान देती है। इस योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जाएं. इसमें आवेदन प्रक्रिया व अन्य महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से बताई गई है।

फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत कृषि यंत्रों पर अनुदान- इस योजना में सरकार ने कई तरह के कृषि यंत्रों को शामिल किया है, जिनके नाम कुछ इस प्रकार से है। स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर, पैडी स्ट्रॉ चॉपर,  सुपर पैडी स्ट्रा चोपर, मल्चर, रोटरी स्लेशर, शर्ब मास्टर, रिवर्सिबल एमबी प्लो, सुपर सीडर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, रीपर कम बाइंडर, ट्रैक्टर चालित क्राप रिपर और स्वचालित क्रॉप रिपर आदि कृषि उपकरण हैं। इन सभी यंत्रों पर इस योजना के तहत 50 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी की सुविधा दी जाती है। अगर आप भी इसका लाभ उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको पहले मेरी फसल मेरा ब्योरा (Meri Fasal Mera Byora) पोर्टल में रजिस्ट्रेशन करना होगा. तभी आप इसका लाभ पा सकते हैं।

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किसानों के लिए 3.70 lakh करोड़ रुपये विशेष पैकेज घोषित

2022-23 से 2024-25 तक 3 वर्ष के लिए 3,68,676.7 करोड़ रुपये urea subsidy के लिए आवंटित किए. Wealth from Waste Model के तौर पर Market Development Assistance (MDA) स्कीम हेतु 1451 करोड़ रुपये मंजूर किए गए।

Rs 3.70 lakh crore special package announced for farmers
Rs 3.70 lakh crore special package announced for farmers

Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA) ने किसानों के उत्थान के लिए, भूमि की उत्पादकता को फिर से जीवंत करने और खाद्य सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाओं को मंजूरी दी है. CCEA ने urea subsidy scheme को जारी रखने को मंजूरी दी; 2022-23 से 2024-25 तक 3 वर्ष के लिए 3,68,676.7 करोड़ रुपये urea subsidy के लिए आवंटित किए. Wealth from Waste Model के तौर पर Market Development Assistance (MDA) स्कीम हेतु 1451 करोड़ रुपये मंजूर किए गए. Soil को समृद्ध करने और पर्यावरण को सुरक्षित एवं स्वच्छ रखने के लिए पराली और गोबरधन संयंत्रों से organic fertilizer का प्रयोग किया जाएगा. Soil की सल्फर की कमी को दूर करने और किसानों के लिए इनपुट लागत को कम करने के लिए ‘Urea Gold’  (Sulphur-Coated Urea) की शुरूआत।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में Cabinet Committee on Economic Affairs (CCEA) ने आज किसानों के उत्थान के लिए 3,70,128.7 करोड़ रुपये के एक विशेष पैकेज को मंजूरी दी. माननीय प्रधानमंत्री जी ने किसानों के समग्र कल्याण और आर्थिक बेहतरी के लिए देश के किसानों को योजनाओं की यह सौगात भेंट की है. इन पहलों से किसानों की आय बढ़ेगी, प्राकृतिक/ ऑर्गेनिक खेती को मजबूती मिलेगी, भूमि की उत्पादकता का कायाकल्प होगा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी. CCEA ने urea subsidy scheme को जारी रखने को मंजूरी दे दी ताकि किसानों को 266.70 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके. इस पैकेज में तीन साल तक (2022-23 से 2024-25) के लिए urea subsidy के लिए 3,68,676.7 करोड़ रुपये निर्धारित किये गये हैं।

यह पैकेज हाल ही में अनुमोदित 2023-24 के खरीफ मौसम के लिए 38,000 करोड़ रुपये की NBS के अतिरिक्त है. किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी और इससे उनकी आदान लागत को कम करने में मदद मिलेगी. वर्तमान  में, यूरिया की MRP 266.70 रुपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया की बोरी है जबकि बैग की वास्तविक कीमत लगभग रु. 2200 है. यह योजना पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है. urea subsidy scheme को जारी रखने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन भी अधिकतम होगा. लगातार बदलती भू-राजनीतिक स्थिति और कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण, वर्षों से इंटरनेशनल लेवल पर फर्टिलाइजर की कीमतें कई गुना बढ़ रही हैं. लेकिन भारत सरकार ने फर्टिलाइजर सब्सिडी बढ़ाकर अपने किसानों को फर्टिलाइजर कीमतों में भारी वृद्धि होने से बचाया है. हमारे किसानों की सुरक्षा के प्रयास में, भारत सरकार ने फर्टिलाइजर सब्सिडी 2014-15 में ₹ 73,067 करोड़ से 2022-23 में ₹ 2,54,799 करोड़ बढ़ाई है।

नैनो यूरिया ecosystem सुदृढ़ीकरण

2025-26 तक, 195 LMT पारंपरिक यूरिया के बराबर 44 करोड़ बोतलों की उत्पादन क्षमता वाले आठ नैनो यूरिया Plant चालू हो जाएंगे।

Nano Urea Table

Nano Fertilizer पोषकतत्वों को नियंत्रित तरीके से रिलीज करता है जो उच्च पोषकतत्व उपयोग दक्षता में योगदान करता है और किसानों को कम लागत आती है. नैनो यूरिया के उपयोग से फसल उपज में वृद्धि हुई है. देश 2025-26 तक यूरिया के मामले में आत्मनिर्भर बनने की राह पर वर्ष 2018 से 6 यूरिया उत्पादन यूनिट

  • चंबल फर्टिलाइजर लिमिटेड, कोटा राजस्थान
  • मैटिक्स लिमिटेड पानागढ़, पश्चिम बंगाल,
  • रामागुंडम-तेलंगाना,
  • गोरखपुर-उत्तर प्रदेश,
  • सिंदरी-झारखंड और
  • बरौनी-बिहार

इनकी स्थापना और पुनरुद्धार से देश को यूरिया उत्पादन और उपलब्धता के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिल रही है. यूरिया का स्वदेशी उत्पादन 2014-15 के 225 LMT के स्तर से बढ़कर 2021-22 के दौरान 250 LMT हो गया है. 2022-23 में उत्पादन क्षमता बढ़कर 284 LMT हो गई है. नैनो यूरिया प्लांट के साथ मिलकर ये यूनिट यूरिया में हमारी वर्तमान आयात पर निर्भरता को कम करेंगे और 2025-26 तक हमें आत्मनिर्भर बनाएंगे।

Rs 3.70 lakh crore special package announced for farmers
Rs 3.70 lakh crore special package announced for farmers

धरती माता की उर्वरता की बहालीजागरूकतापोषण और सुधार हेतु प्रधान मंत्री कार्यक्रम (PM-PRANAM)

धरती माता ने हमेशा मानव जाति को भरपूर मात्रा में जीविका के स्रोत प्रदान किए हैं. यह समय की मांग है कि खेती के अधिक प्राकृतिक तरीकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित/सतत उपयोग को बढ़ावा दिया जाए. प्राकृतिक/ऑर्गेनिक खेती, वैकल्पिक फर्टिलाइजर, नैनो फर्टिलाइजर और जैव फर्टिलाइजर को बढ़ावा देने से हमारी धरती माता की उर्वरता को बहाल करने में मदद मिल सकती है. इस प्रकार, बजट में यह घोषणा की गई थी कि वैकल्पिक फर्टिलाइजर और रासायनिक फर्टिलाइजर के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करने के लिए “ Promotion of Alternate Nutrients for Agriculture Management Yojana- PM PRANAM” शुरू किया जाएगा. गोबरधन संयंत्रों से organic fertilizers को बढ़ावा देने के लिए Market Development Assistance (MDA) के लिए 1451.84 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. आज के अनुमोदित पैकेज में धरती माता की उर्वरता की बहाली, पोषण और बेहतरी के लिए गोबरधन पहल के तहत Compressed Bio-Gas (CBG) Plants से organic fertilizers अर्थात Fermented Organic Manure (FOM)/Liquid FOM/Phosphate Enriched Organic Manure (PROM) के लिए 1500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के रूप में MDA Scheme शामिल है।

ऐसे ऑर्गेनिक उर्वरकों को भारतीय ब्रांड FOM, LFOM और PROM के नाम से ब्रांड किया जाएगा

यह एक तरफ फसल के बाद बचे अवशेषों का प्रबंध करने और पराली जलाने की समस्‍याओं का समाधान करने में सुविधा प्रदान करेगा, पर्यावरण को स्‍वच्‍छ और सुरक्षित रखने में भी मदद करेगा और साथ ही किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्‍त स्रोत प्रदान करेगा। ये ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर किसानों को कम कीमतों पर मिलेंगे। यह पहल गोबरधन स्‍कीम के तहत 500 नए Waste to Wealth Plants की स्‍थापना की बजट घोषणा के Implementation की सुविधा प्रदान करेगी। कृषि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने से Soil Health बेहतर हो रही है। और किसानों को कृषि में लगने वाली लागत कम हो रही है।

425 कृषि विज्ञान केन्‍द्रों ने प्राकृतिक कृषि पद्धतियों का प्रदर्शन किया है और 6.80 लाख किसानों को शामिल करते हुए 6,777 जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए हैं। जुलाई-अगस्‍त 2023 के शैक्षणिक सत्र से B.SC तथा M.SC में प्राकृतिक खेती के लिए पाठ्यक्रम भी तैयार की गयी है। Soil की सल्‍फर की कमी को दूर करने और किसानों के लिए इनपुट लागत को बचाने के लिए Sulphur Coated Urea (Urea Gold) की शुरूआत. देश में पहली बार सल्‍फर लेपित यूरिया (यूरिया गोल्‍ड) शुरू किया जा रहा है. यह देश में Soil में सल्‍फर की कमी को दूर करेगा।

Comparative Table

  • यह किसानों के लिए इनपुट लागत भी बचाएगा और उत्‍पादन एवं उत्‍पादकता में वृद्धि के साथ किसानों की आय भी बढ़ाएगा।
  • प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्‍द्र (PMKSK) ने एक लाख का आंकड़ा छुआ।
  • देश में लगभग एक लाख प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केन्‍द्र (PMKSK) पहले ही लगाए जा चुके हैं।
  • किसानों की सभी जरुरतों के लिए एक ही जगह पर उनकी हर समस्या के स्‍टॉप समाधान के रूप में यह केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।
Rs 3.70 lakh crore special package announced for farmers
Rs 3.70 lakh crore special package announced for farmers

लाभ

आज की अनुमोदित योजनाएं Chemicals Fertilizers का सही उपयोग करने में मदद करेंगी, जिससे किसानों के लिए खेती की लगने वाली लागत कम हो जाएगी। प्राकृतिक/ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए नैनो फर्टिलाइजर और ऑर्गेनिक फर्टिलाइजर से हमारी धरती माता की उर्वरता बहाल करने में मदद मिलेगी। बेहतर soil Health से पोषकतत्‍व दक्षता बढ़ती है तथा soil एवं जल प्रदूषण में कमी होने से पर्यावरण भी सुरक्षित होता है। सुरक्षित तथा स्‍वच्‍छ पर्यावरण से मानव स्‍वास्‍थ्‍य को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। फसल के अवशेष जैसे पराली जलाने से वायु प्रदूषण का मसला हल होगा तथा स्‍वच्‍छता में सुधार होगा और पर्यावरण बेहतर होगा तथा साथ ही waste  को wealth में बदलने में भी सहायता मिलेगी। किसान ज्‍यादा लाभ प्राप्‍त करेंगे – यूरिया के लिए उन्‍हें कोई अतिरिक्‍त भुगतान नहीं करना होगा क्‍योंकि कम कीमतों पर उपलब्‍ध होता रहेगा।

Organic Fertilizers  (FOM/PROM) भी सस्‍ती कीमतों पर उपलब्‍ध होंगे। कम कीमत वाली नैनो यूरिया तथा रासायनिक Fertilizers के कम प्रयोग और ऑर्गेनिक Fertilizers के बढ़ते प्रयोग से किसानों के लिए input लागत भी कम हो जाएगी। कम इनपुट लागत के साथ स्‍वस्‍थ soil तथा पानी से फसलों का उत्‍पादन और उत्‍पादकता बढ़ेगी. किसानों को उनके उत्‍पाद के लिए बेहतर लाभ मिलेगा।

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उत्तर प्रदेश में पशुपालन का यह सबसे सही मौका, योगी सरकार गाय-भैस खरीदने पर दे रही है 40 हजार

अगर आप गाय-भैस पालने की तैयारी कर रहे हैं तो यह सबसे सही समय है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार एक योजना के तहत गाय-भैस पालने पर 40 हजार रुपये दे रही है।

गाय-भैस पालने पर 40 हजार रुपये दे रही है योगी सरकार
गाय-भैस पालने पर 40 हजार रुपये दे रही है योगी सरकार

किसान गांव में खेती के अलावा पशुपालन करके भी अपनी आमदनी में इजाफा करते हैं। अगर आप उत्तर प्रदेश में रहते हैं और गाय-भैस पालने को लेकर सोच-विचार कर रहे हैं लेकिन आपके पास पर्याप्त पूंजी नहीं है। तो ऐसे में आपको घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। दरअसल, पशुपालकों को उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने एक योजना के तहत गाय-भैस पालने के लिए 40 हजार रुपये देने का फैसला किया है. तो आइए, राज्य सरकार की इस योजना के बारे में विस्तार से जानें।

इस योजना के तहत सब्सिडी

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने के लिए नंद बाबा मिशन की शुरुआत की है। सीएम ऑफिस की तरफ से जारी आधिकारिक बयानों में कहा गया है कि नन्द बाबा दुग्ध मिशन के अंतर्गत स्वदेशी ‘गौ संवर्धन योजना‘ शुरू की गई है। जिसके तहत पशुपालक गुजरात से गिर गाय, पंजाब से साहिवाल, राजस्थान से थारपारकर गाय आसानी से खरीद सकेंगे। सरकार की तरफ से इन गायों की खरीद पर 40 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. इसके साथ अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस योजना की शुरुआत किसानों की आय बढ़ाने के नजरिए से की गई है। इससे अन्नदाताओं को काफी लाभ होगा।

आय बढ़ाने के लिए योजना की शुरुआत

सरकारी बयानों में कहा गया है कि इससे किसानों की आय के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी तेजी से बढ़ेगी। पशुपालन के प्रति किसानों का रुझान बढ़ेगा। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह अनुदान पशुपालकों को अधिकतम दो स्वदेशी नस्ल की गायों को खरीदने पर मिलेगा। इसके अलावा, राज्य सरकार नंद बाबा मिशन के तहत बाहरी राज्य से गाय लाने पर परिवहन, यात्रा के दौरान गाय का बीमा और यूपी में गाय डेयरी किसान के पास आने के बाद गाय का बीमा कराने में भी जो पैसा खर्च होगा, वह भी पैसा उत्तर प्रदेश सरकार देगी।

गाय पालने पर भी सब्सिडी

वहीं, डेयरी किसानों को मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालक प्रोत्साहन योजना के तहत अलग से भी प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह पैसा भी अधिकतम दो स्वदेशी नस्ल की गायों पर दिया जाएगा। बता दें कि इस योजना के तहत अभी भी डेयरी किसानों को देसी गाय पालने पर 10 से 20 हजार रुपये तक प्रोत्साहन राशि दी जाती है। हालांकि, यह पैसा भी अधिकतम दो गाय पालने पर दिया जाता है। किसान इस सब्सिडी के बारे में ज्यादा जानकारी अपने नजदीकी पशुपालन विभाग में जाकर हासिल कर सकते हैं।

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Aaksmik Fasal Yojana: किसानों की सहायता के लिए आगे आई सरकार, आवेदन कर तुरंत उठाएं इस योजना का लाभ

किसानों की मदद के लिए सरकार हमेशा कोई नया कदम उठाती है. इस समय कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए आकस्मिक फसल योजना की शुरुआत की गई है। आइए, इसके बारे में विस्तार से जानें।

आकस्मिक फसल योजना की शुरुआत
आकस्मिक फसल योजना की शुरुआत

अन्नदाताओं की सहायता के लिए सरकार आए दिन नई योजनाओं के साथ आगे आती है। जलवायु प्रवर्तन व बिपोरजॉय के चलते इस साल मॉनसून आने में देरी कर रहा है। जिसके चलते भारत के कई इलाकों में सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न गई है। उन जगहों पर किसानों की फसल लगभग खराब होने की कगार पर है। इसी बीच, गर्मियों में सूखे जैसी स्थिति को देखते हुए एक राज्य सरकार ने आकस्मिक फसल योजना की शुरूआत की है। जिसके तहत किसानों को नुकसान से काफी राहत मिलेगी। तो आइये जानें किस राज्य में किसानों के लिए शुरू हुई है यह योजना। वहीं, इसका लाभ उठाने के लिए कैसे कर सकते हैं आवेदन।

ये होगा फायदा 

मॉनसून व सूखे जैसी समस्या पर गौर फरमाते हुए बिहार सरकार ने अपने राज्य के किसानों के लिए आकस्मिक फसल योजना शुरू की है। इसके तहत सरकार प्रभावित जिलों के किसानों को मुफ्त में वैकल्पिक फसलों का बीज मुहैया कराएगी। किसानों को कुल 15 विभिन्न फसलों के बीज दिए जाएंगे। ऐसे में अगर आप बिहार में खेती किसानी करते हैं तो तुरंत आवेदन करके इसका लाभ उठा सकते हैं। हालांकि, बिहार सरकार की तरफ से यह साफ कर दिया गया है कि इस योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा, जो सूखाग्रस्त इलाकों से होंगे।

 

इन फसलों के मिलेंगे बीज

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस योजना के तहत प्रभावित गांव, पंचायत और प्रखंड के हर एक किसान को अधिकतम दो एकड़ खेत के लिए दो वैकल्पिक फसल के बीज दिए जाएंगे। इस योजना के तहत जिन फसलों के बीज दिए जाएंगे, उनमें धान (प्रमाणित), मक्का (संकर), अरहर, उड़द, तोरिया, सरसों (अगात), मगर (अगात), भिन्डी, मूली, कुल्थी, मडुआ, सांवा, कोदो, ज्वार और बरसीम शामिल हैं।

इस योजना का लाभ उठाने के लिए प्रभावित गांव के किसानों को नजदीकी कृषि केंद्र में जाना होगा। जहां आवेदन करने के लिए जमीन के कागजात, आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो, मोबाइल नंबर आदि मांगे जा सकते हैं।

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खेती के साथ बकरी पालन करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं किसान, सरकार भी दे रही है भारी सब्सिडी

किसान खेती के साथ बकरी पालन करके अपनी आय में इजाफा कर सकते हैं। वहीं, सरकार भी इसके लिए भारी सब्सिडी दे रही है। आइये जानें कैसे उठा सकते हैं इसका लाभ।

बकरी पालन पर सब्सिडी दे रही है सरकार
बकरी पालन पर सब्सिडी दे रही है सरकार

किसानों के लिए बकरी पालन कमाई का बेहतर जरिया बन सकता है। सरकार भी इसके लिए कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों को प्रेरित कर रही है। सरकार बकरी पालन पर बंपर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। किसान अकेले या पार्टनरशिप में भी बकरी पालन करके सरकार की सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। तो आइये जानें कहां मिल रही है बकरी पालन पर सब्सिडी व कैसे उठा सकते हैं इसका लाभ।

बकरी पालन की यूनिट लगाने पर सब्सिडी

दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत बुंदेलखंड क्षेत्र में 100 से 500 तक बकरी पालन की यूनिट लगाने पर भारी सब्सिडी दे रही है। इस योजना के जरिए यूपी सरकार बकरी नस्ल का सुधार करना चाहती है। वहीं, सरकार की ओर से इसके लिए कुछ उन्नत किस्म के बकरे व बकरी भी दिए जाएंगे। उत्तर प्रदेश में पशुपालन व डेयरी विभाग ने बकरियों की पांच तरह की यूनिट लगाने पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने की घोषणा की है।

20 लाख सब्सिडी

अगर किसान 100 बकरी पालन का यूनिट तैयार करते हैं तो सरकार की ओर से उन्हें पांच बीजू बकरे मिलेंगे. वहीं, सरकार ने 100 बकरियों की यूनिट तैयार करने की लागत राशि 20 लाख रुपये निर्धारित की है। ऐसे में पशुपालकों को 10 लाख रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। वहीं, 200 बकरियों का यूनिट लगाने पर सरकार 10 बीजू बकरे देगी। इसमें लागत 40 लाख रुपये तय की गई है। इसी तरह, 200 बकरियों का यूनिट बैठाने पर सरकार 20 लाख रुपये देगी।

50 लाख तक अनुदान

इसके अलावा, इस योजना के तहत 300 बकरियों और 15 बीजू बकरे की यूनिट लगाने पर सरकार 60 लाख रुपये के हिसाब से 30 लाख रुपये और 400 बकरियों और 20 बीजू बकरे की यूनिट लगाने पर सरकार 80 लाख रुपये (लागत) के हिसाब से 40 लाख रुपये की सब्सिडी देगी। इसके अलावा, 500 बकरियों और 25 बीजू बकरे की यूनिट तैयार करने पर उत्तर प्रदेश में 1 करोड़ रुपये (लागत) के हिसाब से 50 लाख रुपये तक का अनुदान देने का प्रावधान है।

बकरी पालन से जुड़ी खास बात

बकरी पालन की यूनिट किसान अकेले या समूह में भी बना सकते हैं। हर तरह से यूनिट लगाने पर सब्सिडी दी जा रही है। किसानों को इसका लाभ उठाने के लिए जमीन व अन्य चीजों की आवश्यकता होगी। बुंदेलखंड क्षेत्र में पशुपालन विभाग में जाकर किसान इस सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए उन्हें कुछ कागजातों की भी आवश्यकता पड़ेगी। जिसके बारे में वहीं जानकारी दी जाएगी। बकरी का दूध और बकरे को सीधे बाजार में बेचकर किसान अच्छी आमदनी कर सकते हैं।

एक बकरा बाजार में आसानी से पांच हजार रुपये में बिक जाता है। ऐसे में पांच बकरा बेचकर पशुपालक साल में 25 हजार रुपये की कमाई कर सकते हैं। इसके अलावा बकरी का दूध 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बाजार में मिलता है। माना जाता है कि प्लेटलेट्स बढ़ाने में बकरी के दूध की अहम भूमिका होती है। इसी तरह, किसान हर तरह से बकरी पालकर जबरदस्त मुनाफा कमा सकते हैं।

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राष्ट्रीय कृषि इन्फ्रा वित्तपोषण सुविधा :- (नेशनल एग्रीकल्चर इंफ्रा फाइनेंसिंग फैसिलिटी)

इस वित्तपोषण सुविधा के अंतर्गत सभी ऋणों पर 3% प्रति वर्ष का ब्याज अनुदान प्रदान किया जाएगा, जिसकी अधिकतम लिमिट रू. 2 करोड़ होगी। यह अनुदान अधिकतम 7 साल की अवधि के लिए उपलब्ध होगीI

मुख्य विशेषताएं

  • केंद्र या राज्य सरकार की सभी योजनाओं के साथ अभिसरण।
  • भाग लेने वाले ऋणदाता संस्थानों के सहयोग से ऑनलाइन सिंगल विंडो सुविधा।
  • परियोजना तैयार करने सहित परियोजनाओं के लिए सहायता प्रदान करने के लिए परियोजना प्रबंधन इकाई।
  • वित्तपोषण सुविधा का आकार – ₹ 1 लाख करोड़।
  • ₹ 2 करोड़ तक के ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी।
  • 3% प्रति वर्ष का ब्याज सबवेंशन, एक स्थान पर ₹ 2 करोड़ प्रति परियोजना तक सीमित है, हालांकि ऋण राशि अधिक हो सकती है।
  • उधार दर पर कैप, ताकि ब्याज सब्सिडी का लाभ लाभार्थी तक पहुंचे और किसानों को सेवाएं सस्ती रहें।
  • वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों, आरआरबी, लघु वित्त बैंकों, एनसीडीसी, एनबीएफसी आदि सहित कई उधार देने वाले संस्थान।
  • एक पात्र संस्था विभिन्न स्थानों पर परियोजनाएँ लगाती है तो ऐसी सभी परियोजनाएँ योजना के तहत ₹ 2 करोड़ तक के ऋण के लिए पात्र होंगी।
  • एक निजी क्षेत्र की संस्था, जैसे कि किसान, कृषि उद्यमी, स्टार्ट-अप के लिए अधिकतम 25 ऐसी परियोजनाओं की सीमा होगी।
  • 25 परियोजनाओं की सीमा राज्य एजेंसियों, सहकारी समितियों के राष्ट्रीय और राज्य संघों, एफपीओ के संघों और स्वयं सहायता समूहों के संघों पर लागू नहीं होगी।

नेशनल एग्रीकल्चर इंफ्रा फाइनेंसिंग फैसिलिटी

कृषि विकास और उत्पादन की गतिशीलता को अगले स्तर तक ले जाने के लिए बुनियादी ढांचे की भूमिका महत्वपूर्ण है। केवल बुनियादी ढाँचे के विकास के माध्यम से, विशेष रूप से कटाई के बाद के चरण में, मूल्य संवर्धन और किसानों के लिए उचित सौदे के अवसर के साथ उत्पाद का इष्टतम उपयोग किया जा सकता है। इस तरह के बुनियादी ढांचे के विकास से प्रकृति की विषमताओं, क्षेत्रीय विषमताओं, मानव संसाधन के विकास और हमारे सीमित भूमि संसाधनों की पूरी क्षमता का एहसास भी होगा।

उपरोक्त को देखते हुए, माननीय वित्त मंत्री ने 15.05.2020 को किसानों के लिए फार्म-गेट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 1 लाख करोड़ के एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की घोषणा की। रुपये की वित्तपोषण सुविधा। फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदुओं (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप, आदि) पर कृषि अवसंरचना परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे। फार्म गेट और एग्रीगेशन पॉइंट के विकास के लिए प्रोत्साहन, किफायती और आर्थिक रूप से व्यवहार्य पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर।

तदनुसार, डीए एंड एफडब्ल्यू ने प्रोत्साहन और वित्तीय सहायता के माध्यम से पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर और सामुदायिक कृषि संपत्तियों से संबंधित व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए एक मध्यम-दीर्घावधि ऋण वित्तपोषण सुविधा जुटाने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना तैयार की है।

इसके बाद, 01.02.2021 को की गई बजट घोषणा में, योजना का लाभ एपीएमसी को देने का निर्णय लिया गया। तदनुसार, योजना को और अधिक समावेशी बनाने के लिए मंत्रिमंडल के अनुमोदन से इसमें संशोधन किए गए।

माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) योजना के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के तहत 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए इस वित्तपोषण सुविधा से पात्र उधारकर्ताओं के लिए क्रेडिट गारंटी कवरेज उपलब्ध होगा। इस कवरेज के लिए शुल्क का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा। एफपीओ के मामले में डीए एंड एफडब्ल्यू की एफपीओ प्रोत्साहन योजना के तहत बनाई गई सुविधा से क्रेडिट गारंटी का लाभ उठाया जा सकता है।

इस वित्तपोषण सुविधा के तहत सभी ऋणों में ₹ 2 करोड़ की सीमा तक 3% प्रति वर्ष का ब्याज सबवेंशन होगा। यह आर्थिक सहायता अधिकतम 7 वर्ष की अवधि के लिए उपलब्ध होगी। 2 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण के मामले में, ब्याज अनुदान 2 करोड़ रुपये तक सीमित होगा। कुल वित्त पोषण सुविधा में से निजी उद्यमियों को वित्त पोषण की सीमा और प्रतिशत राष्ट्रीय निगरानी समिति द्वारा तय किया जा सकता है।

योजना 2020-21 से 2032-33 तक चालू रहेगी। योजना के तहत ऋण वितरण छह साल में पूरा होगा।

लाभार्थी

79529

आवेदनों की संख्या

65253

ऋण राशि प्राप्त आवेदनों की।

₹ 36,049 करोड़

उपयोगकर्ता

162903

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र

34