दिल्ली और उत्तर भारत में टमाटर का भाव तेजी से बढ़ा है। इसकी कीमत 100 रुपये किलो तक पहुंच गई है. जानें भारत में सबसे ज्यादा कहां होता है टमाटर का उत्पादन।
टमाटर की कीमत में अचानक भारी उछाल देखने को मिल रहा है. दिल्ली और उत्तर भारत में इस समय टमाटर ((Tomato) का भाव 80 से 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। यह उछाल बीते दो दिनों में देखने को मिला है. इससे पहले, बाजार में टमाटर ((Tomato) की कीमत सिर्फ 25 से 30 रुपये प्रति किलो तक थी। मंडी में बढे भाव को लेकर नोएडा स्थित मंडी के सब्जी व्यापारी लालजी शाह का कहना है कि किसान ही उन्हें टमाटर ((Tomato) ज्यादा दाम में बेच रहे हैं। जिसकी वजह से उन्हें इसे महंगा बेचना पड़ रहा है।
इस साल यहां कम हुआ टमाटर का उत्पादन
वहीं, कृषि क्षेत्र से जुड़े विश्लेषकों ने कहा है कि पिछले दिनों देश के अधिकांश हिस्सों में देरी से बारिश व उच्च तापमान की वजह से टमाटर का उत्पादन बेहद कम हुआ था। जिसके चलते टमाटर की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है. दरअसल, हरियाणा और यूपी में हर साल टमाटर का उत्पादन बेहतर होता रहा है। लेकिन इस साल खराब मौसम ने इन राज्यों में टमाटर की उपज को कम कर दिया है। जिसकी वजह से मंडियों में पर्याप्त मात्रा में टमाटर की पूर्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में सब्जी व्यापारी बंगलुरु व अन्य इलाकों से टमाटर मंगाने पर मजबूर हैं। आज हम बताएंगे कि भारत में सबसे ज्यादा टमाटर का उत्पादन कहां होता है।
यहां होता है सबसे ज्यादा उत्पादन
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक, भारत में कुल सात राज्य टमाटर का सबसे अधिक उत्पादन करते हैं। जिनमें आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। पूरे देश की 75 प्रतिशत टमाटर की उपज इन्हीं राज्यों में होती है। इसमें भी आंध्र प्रदेश नंबर वन पर काबिज है। यह राज्य अकेले लगभग 18 फीसदी टमाटर का उत्पादन करता है।
ऐसे होती है टमाटर की खेती
टमाटर की खेती के लिए भूमि की पीएच मान 6-7 होना चाहिए. इसके बाद, इसके बीजों को कुछ दूरी पर एक-दूसरे से अलग करके लगाएं ताकि पर्याप्त उपज हो सके। टमाटर के पौधों को बढ़ने के लिए उचित प्रकाश और नियमित रूप से पानी की आवश्यता होती है। वहीं, सबसे जरुरी बात यह है कि टमाटर के लिए उच्च तापमान का ध्यान देना आवश्यक है। अगर तापमान 35 डिग्री सेलसियस से अधिक हो जाता है तो इसकी प्रगति कम हो सकती है. ज्यादा तापमान के चलते ज्यादातर मामलों में पौधे खराब हो जाते हैं।
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