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अब आपके घर आयेगी MILK ATM VAN, शुद्धता की गारंटी पर्यावरण की सुरक्षा के साथ, प्लास्टिक पाउच से मुक्ति

लोगों तक पैकेट मुक्त और शुद्ध दूध पहुँचाने के लिए “सहज मिल्क उत्पादक कम्पनी” ने मोबाइल बल्क मिल्क वैंडिंग वैन को लॉन्च किया है..

milk machine
Mobile bulk milk vending van launched

कभी आपने सोचा है की आपको पैकेट वालें दूध से मुक्ति मिल जाएँ तो पर्यावरण कितना सुरक्षित हो जायेगा. हम पृथ्वी को काफी हद तक प्लास्टिक मुक्त बना सकेंगे. इतना ही नहीं यदि आपको पैकिंग दूध की जगह फ्रेश और बिना मिलावट का दूध आपके घर के दरवाजें पर मिलने लगे तो फिर तो सोने पर सुहागा। लेकिन क्या ये संभव है? जी हाँ ये बिलकुल संभव है. अब आपको ताज़ा और शुद्ध दूध आपके घर द्वार पर उपलब्ध करवाएगी उत्तर प्रदेश की “सहज मिल्क उत्पादक कम्पनी” जिसने हाल ही में उत्तर प्रदेश के आगरा जिला में एक पायलेट प्रोजेक्ट के तहत मोबाइल बल्क मिल्क वैंडिंग वैन को लॉन्च किया है। जोकि आपको आपके घर के दरवाजे पर शुद्ध और ताजा दूध उपलब्ध करवाएगी।

शुद्धता की गरंटी

इस मिल्क वैडिंग को बेहद ही आधुनिक तरीके से डिजाईन किया गया है। सहज कम्पनी के जनरल मेनेजर डॉ संदीप ने जानकारी देते हुए बताया कि सहज कम्पनी सीधे डेयरी किसानों से सुबह के वक्त फ्रेश दूध एकत्र करती है और उसी दूध को सीधे चिलिंग प्लांट में ठंडा कर वेंडिग मशीन में सुरक्षित कर दिया जाता है। इसके बाद इस मशीन में प्लांट के प्रबंधक द्वारा एक सील को लगा दिया जाता है, जिसे तोड़ा नहीं जा सकता है। यदि इस सील को कोई तोड़ना भी चाहेगा तो उसकी जानकारी एक सन्देश के माध्यम से प्लांट मेनेजर तक पहुँच जाएगी। इसका मतलब है कि किसी भी प्रकार से ग्राहक तक पहुँचने तक दूध के साथ मिलावट नहीं की जा सकती है। इतना ही नहीं इस वेंडिंग मशीन से ग्राहक खुद ही दूध निकालता है और जितना दूध उसे चाहिए वह ले सकता है। ग्राहक राशि का भुगतान QR कोड के माध्यम से करता है। यह मशीन पूरी तरह से सुरक्षित है. इसमें दूध की सेल्फ लाइफ़ 8 घंटे तक की होती है। उन्होंने कहा कि इस मशीन में दूध को प्रिसर्व करने के लिए किसी कैमिकल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

मोबाइल ऐप के माध्यम से कर सकते है आर्डर

आप इस मोबाइल वैन से दूध लेने के लिए सहज कम्पनी की मोबाइल ऐप पर जाकर दूध लेने की डिमांड कर सकते हैं। यह वैन आगरा में 4 से 5 किलोमीटर के रेडियस तक दूध का वितरण करेगी। जिसमे ग्राहक प्रतिदिन दूध लेने के लिए 1 महीने की एडवांस बुकिंग भी कर सकता है। कम्पनी के प्रबंधक डॉ संदीप बतातें है की शुद्धता को बरकार रखने के लिए मोबाइल मिल्क वेंडिग मशीन को ग्राहक के लिए ही तैयार किया गया। ग्राहक का सीधा सपर्क मशीन से रहेगा। इसमें कम्पनी के कर्मचारी द्वारा का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। ग्राहक सीधे अपने बर्तन को मशीन पर रख कर दूध निकाल कर पेमेंट कर सकता है।

आगरा जिला के 4 सेक्टर में करगी दूध का वितरण

इस विषय पर विस्तार से बताते हुए बसंत चौधरी, मुख्य कार्यकारी, सहज ने बताया कि शुरूआत में यह मिल्क वैंडिंग वैन आगरा विकास प्राधिकरण के चार सेक्टरों- सिकंदरा सेक्टर 5, 6, 9 और 10 को अपनी सेवाएं प्रदान करेगी। उम्मीद है कि इस आधुनिक मोबाइल प्लेटफॉर्म के माध्यम से रोज़ाना 700-800 लीटर दूध बेचा जाएगा। आगरा में खुले दूध की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए हमने यह कदम उठाया है। हमने पैकिंग वाले दूध से आगे बढ़कर खुले ठंडे दूध में विस्तार किया है और यह खुला दूध 25 तरह की गुणवत्ता जांच से होकर गुज़रता है ताकि यह पूरी तरह से पोषक एवं हाइजीनिक हो।

गाय और भैंस के दूध का विकल्प भी

इस मशीन में दो सेक्शन बनाये गए हैं जहां  गाय और भैंस का दूध अलग-अलग स्टोर किया जाता है। दूध का मूल्य भी गाय और भैंस के दूध के बाज़ार मूल्य के अनुसार निर्धारित किया गया है। इस दूध को पूरी तरह सुरक्षित रखने के लिए 25 से 32 परीक्षणों के बाद मार्केट में उतारा जाता है।

पर्यावरण सुरक्षा के लिए उठाया कदम

जानकारी देते हुए बसंत चौधरी, मुख्य कार्यकारी, सहज ने कहा कि खुले दूध की बिक्री से हम पैकिंग वालें दूध से मुक्ति पा सकेंगे. यदि यह पायलेट प्रोजेक्ट सफल रहा तो जिला के अन्य इलाकों में इस प्रकार की कई मोबाईल मिल्क वेंडिंग वैन चलवाई जाएगी। विदित हो कि वातावरण में कार्बन के तत्व बढ़ते जा रहे हैं। दूध के पाउच सबसे ज्यादा पर्यावरण को नुक्सान पंहुचा रहे हैं. वर्तमान में गाँव हो या शहर, लगभग सभी घरों में पैकेट का दूध ही आता है। अब आप कल्पना कीजिये कि अगर दूध का ये प्लास्टिक पैकेट का वह छोटा सा टुकड़ा प्रतिदिन घर से बाहर कचरे के रूप में पर्यावरण में जा रहा है तो इसका कितना दुष्प्रभाव पर्यावरण पर पड़ सकता है। कुछ आंकड़ों के अनुसार विश्व में बनने वाला लगभग 79% प्लास्टिक हमारी पृथ्वी को प्रदूषित करता है. जिसमें से मात्र 9% ही रिसाइकल हो पाता है। बात अगर भारत की जाएँ तो भारत में भी प्लास्टिक रीसाइक्लिंग बहुत बड़े स्तर पर नहीं की जाती है। यदि लोग खुले दूध को खरीदते हैं तो बिना पैकेजिंग वाले दूध के खरीद पर हम लगभग 4.2 ग्राम तक प्लास्टिक के प्रभाव को वातावरण से कम कर सकते हैं।

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