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बदलते मौसम में किसान कैसे करें अपनी फसलों की रक्षा, मौसम विभाग ने दी सलाह

मौसम विभाग ने आगामी मौसम को लेकर बिहार के किसानों के लिए जरूरी कृषि एडवाइजरी जारी की है। इसमें मौसम के मद्देनजर फसलों की सुरक्षा कैसे करें, इसकी बेहतरीन जानकारी दी गई है।

देशभर के कई हिस्सों में इन दिनों मौसम बदल रहा है। अचानक से हो रही बारिश सें जहां गर्मी से राहत मिल रही है, तो वहीं किसानों के लिए ये मौसम कई मायनों में अच्छा तो कई मायनों में बुरा साबित हो रहा है। ऐसे में किसानों के लिए मौसम से जुड़े सभी अपडेट जानना बेहद जरूरी हो जाता है। तो चलिए मौसम विभाग द्वारा बिहार के किसानों के लिए जारी मौसम एडवाइजरी और कृषि एडवाइजरी दोनों इस लेख में जानते हैं।

बिहार के किसानों के लिए मौसम अपडेट

आगामी पांच दिनों के दौरान आसमान साफ रहेगा और बारिश की कोई संभावना नहीं है। इस दौरान हवा की गति लगभग 12-16 किमी/घंटा रहने का अनुमान है।

किसानों को चारे के लिए बुवाई करने की दी गई सलाह

किसानों को सलाह दी जाती है कि ज्वार (पीसी 6, पीसी 23, एमपी चरी, एसएसजी 998, 898, 555), मक्का (अफ्रीकन टॉल, विजय, मोती, जवाहर), लोबिया (यूपीसी 5287, 8705), बाजरा (एल 274, जायंट बाजरा), ग्वार (बुंदेल ग्वार1, 2, 3) की चारे के लिए बुवाई करें।

किसानों को सिंचाई के लिए दी गई ये सलाह :- खड़ी फसलों में हल्की और बार-बार सिंचाई करें। केवल शाम या सुबह के समय सिंचाई करें।

धान की खेती को लेकर सलाह जारी धान के किसानों को खरीफ चावल की किस्मों राजेंद्र श्वेता, राजेंद्र मसूरी-1, एमटीयू-709, स्वर्ण सब-1 आदि के प्रमाणित बीज बोने का सुझाव दिया जाता है। बीज का उपचार बाविस्टिन @ 2 ग्राम/किलोग्राम से किया जाना चाहिए। बीज दर @ 20 किग्रा/हेक्टेयर होना चाहिए। 100 वर्ग मीटर बीज क्यारी के लिए 1kg N, P और K का प्रयोग करें।

आम और लीची के किसानों के लिए सलाह आम और लीची उत्पादक किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अधिक मूल्य प्राप्त करने के लिए जल्द से जल्द परिपक्व फलों को तोड़ें और बाजार में बेचने जाएं।

किसानों को दी गई पौध संरक्षण की सलाह

कद्दू वर्गीय फसल में फल मक्खी के प्रकोप की निगरानी करने की सलाह दी जाती है। यदि इसका संक्रमण पाया जाता है, तो डाइमेथोएट 30 ईसी @ 2 मिली + 10 ग्राम चीनी/लीटर पानी का छिड़काव, साफ धूप वाले दिनों में करने की सलाह दी जाती है। Disclaimer– इस लेख में दी गई जानकारी मौसम विज्ञान केंद्र, पटना और आरएयू-पूसा (समस्तीपुर), एएमएफयू-अगवानपुर (सहरसा) एएमएफयू-सबौर (भागलपुर) के सहयोग से जारी कृषि एडवाइजरी द्वारा ली गई है। ये कृषि विशेष सलाह 31 मई 2023 से लेकर 4 जून 2023 तक के मौसम के मद्देनजर जारी की गई है। आपको यहां बता दें कि मौसम विभाग समय-समय पर अलग-अलग राज्यों के लिए कृषि विशेष सलाह जारी करता रहता है। इस कृषि विशेष सलाह से किसानों की फसलों को मौसम से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। हम आपके लिए मौसम विभाग द्वारा जारी कृषि एडवाइजरी की जानकारी और हर अपडेट लेकर आते रहते हैं। ऐसे में आप कृषि जागरण के साथ जुड़कर समय-समय पर कृषि विशेष सलाह की जानकारी ले सकते हैं।

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Cyclone Alert: उत्तर भारत के इन राज्यों में सुपर साइक्लोन का अलर्ट जारी

मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, आज से लेकर आने वाले कुछ दिनों तक भारत के विभिन्न शहरों में सुपर साइक्लोन का अलर्ट जारी किया गया है।

मई का महीना खत्म होने में बस एक ही दिन बचा है, लेकिन देशभर में मानसून की बारिश का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। देखा जाए तो हर दिन हो रही बारिश लोगों को भीगा रही है और साथ ही इनके लिए मुश्किलें भी पैदा कर रही है। दूसरी और बारिश होने से दिल्ली और अन्य कई शहरों में भीषण गर्मी से लोगों को काफी राहत मिली है। आइए जानते हैं देशभर में मौसम की स्थिति आज कैसी रहने वाली है।

चक्रवात चेतावनी (Cyclone Alert)

बीते कल यानी 29 मई, 2023 के दिन उत्तर-भारत में तूफान ने मौसम (Weather) के रुख को बदल दिया है। मौसम विभाग की मानें तो बीते 2-3 दिनों में चले सुपर साइक्लोन (Super Cyclone) की अधिकतम रफ्तार 50 से 70 किमी प्रति घंटे तक रही थी। वहीं अब अनुमान है कि आने वाला तूफान करीब 90 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आ सकता है। इसके लिए IMD ने चेताया है कि सभी लोग जितना हो सकें अपने टीन शेड को मजबूती से बांध लें। जो भी उड़ने वाली चीज हैं उसे सुरक्षित रख लें। हर परिस्थिति में सावधानी बरतें। अनुमान है कि आगामी दिनों में बिजली की आपूर्ति भी ठप हो सकती है। इसलिए जो भी घरेलू जरूरत जैसे- आटा, पानी को स्टॉक में रखें। आगामी 31 मई, 2023 तक मौसम किसी भी रूप में बदल सकता है।

अगले 5 दिनों के दौरान देशभर में पूर्वानुमान और चेतावनी

उत्तर पश्चिमी भारत में आज और 31 मई, 2023 तक गरज, बिजली और तेज हवाएं, तूफान 40-50 से 60 किमी प्रति घंटे से चलने की संभावना है। मौसम विभाग ने 30 तारीख यानी आने वाला कल उत्तरी राजस्थान, जम्मू संभाग, हिमाचल प्रदेश में ओलावृष्टि की संभावना है। अनुमान है कि 01 जून से धीरे-धीरे हवाएं कम हो सकती हैं। अगले 5 दिनों के दौरान दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में छिटपुट वर्षा को लेकर चेतावनी जारी की गई है।

अधिकतम तापमान का पूर्वानुमान

अगले 4 दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम भारत में अधिकतम तापमान में कोई खास बदलाव नहीं होने की आशंका है। उसके बाद अगले 5 दिनों के दौरान पूर्वी भारत और महाराष्ट्र में अधिकतम तापमान में 2-4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है।

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हर गांव मे अब लगेगा नमो चौपाल, कृषि वैज्ञानिक किसानों को देंगे विशेष सलाह

किसानों के विकास के लिए सरकार आए दिन कुछ ना कुछ करती रहती है। इसी कड़ी में अब मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने हर गांव में नमो चौपाल की शुरुआत की है। इससे गांव-गांव जाकर कृषि वैज्ञानिक खेती-बाड़ी की जानकारी देंगे।

भारत के किसानों की तरक्की के लिए केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है। सरकार किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों से जोड़कर उनका विकास करना चाहती है। इसके मद्देनजर हाल में सरकार ने अलग-अलग जगहों पर कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों की जानकारी किसानों को उपलब्ध कराने के लिए कृषि मेला आयोजित करने का फैसला लिया है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में कृषि मेले का आयोजन किया जा रहा है।

हर गांव में नमो चौपाल का होगा निर्माण

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में उज्जैन में कृषि मेला आयोजित किया गया था, जिसका शुभारंभ किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल द्वारा किया गया। इस दौरान कृषि मंत्री कमल पटेल ने हर गांव में नमो चौपाल के निर्माण की घोषणा की. उन्होंने कहा कि प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर नमो चौपाल का निर्माण किया जाएगा।

क्या है नमो चौपाल :- नमो चौपाल, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही यह एक ऐसी समाजिक पहल है, जो एक ही मंच पर किसानों, ग्रामीणों और कृषि वैज्ञानिकों को लेकर आता है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने नमो चौपाल के बारे में कहा कि नमो चौपाल पर किसान, ग्रामीण और कृषि वैज्ञानिक खेती-किसानी पर सामूहिक चर्चा करेंगे।

नमो चौपाल का उद्देश्य :- इसका उद्देश्य किसानों की समस्याओं को सुनना और उसका कृषि वैज्ञानिकों द्वारा हल निकालना है।इस मंच से किसानों को उन्नत खेती के तरीके, नवीनतम खेती के तकनीक, आधुनिक कृषि पद्दति, जैविक खेती सहित सभी अहम जानकारी मिलेगी।जैसा की राज्य के प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर नमो चौपाल का निर्माण किए जाने की योजना बनाई गई है। यहां सभी किसान भाई कृषि विशेषज्ञों के साथ मिलकर अपनी समस्याओं का समाधान और विकास करने की योजना बनाएंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के किसान भी खेती-बाड़ी में आधुनिक तकनीक अपनाकर ज्यादा मुनाफा कमाने में सक्षम हो सकेंगे।

जैविक खेती को अपनाने की अपील:- उज्जैन में आयोजित कृषि मेले में उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों से जैविक खेती की ओर आगे बढ़ने की अपील की। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. यादव ने कहा कि किसान अधिक से अधिक जैविक खेती करें।

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हर खेत तक पहुंचेगा पानी, सरकार सिंचाई पर दे रही है भारी सब्सिडी, ऐसे उठायें लाभ

किसानों के लिए सरकार हर दिन कोई नया कदम उठाती है, अब कृषकों को सिंचाई पर भी बंपर सब्सिडी देने का ऐलान किया गया है.लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सहित तमाम राज्यों की सरकारें अन्नदाताओं को खुश करने की कवायद में जुट गई हैं. वह आए दिन कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए नई योजनाओं का ऐलान कर रही हैं. अगर खेती की बात करें तो कुछ ही समय बाद खरीफ फसलों की बुवाई होगी. ऐसे में किसान इसकी तैयारी में लग गए हैं. खरीफ फसलों को सिंचाई की ज्यादा जरुरत होती है. ऐसे में पानी की खपत भी बढ़ जाती है. जिससे किसान को अपनी जेब ज्यादा करनी पड़ती है. इस समस्या को देखते हुए एक राज्य सरकार ने सिंचाई पर बड़ी सब्सिडी देने का ऐलान किया है.

आइए, जानें किस राज्य में मिल रही है सिंचाई पर सब्सिडी।कम खर्च में ज्यादा उत्पादन :- बिहार सरकार सूक्ष्म सिंचाई पर किसानों को इन दिनों अनुदान दे रही है. दरअसल, इस तकनीक से सिंचाई करने पर फसलों को जरुरत के हिसाब से पानी मिलता है. माना जाता है कि सूक्ष्म सिंचाई में खर्च कम व उत्पादन ज्यादा होता है. जिससे किसानों की आमदनी बढ़ जाती है. इसके अलावा, इस तकनीक से खेती करने में भारी मात्रा में पानी की भी बचत होती है. सूक्ष्म सिंचाई में ड्रिप व स्प्रिंकल इरिगेशन शामिल होते हैं।

पानी की भारी बचत :- कृषि विभाग राज्य में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप और स्प्रिंकलर दोनों ही सिंचाई के लिए 90 प्रतिशत का अनुदान दे रहा है. बता दें कि इस तकनीक से सिंचाई करने पर लगभग 60 प्रतिशत पानी की बचत होती है. इसमें किसानों का समय व मेहनत दोनों बचता है. इसके अलावा, स्प्रिंकलर सिंचाई से लंबे दिनों तक मिट्टी में नमी बनी रही है. जिससे फसल खराब नहीं होती.इस सब्सिडी को पाने के लिए किसानों को आवेदन करना होगा. उससे पहले कृषि विभाग के ऑफिशियल साइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होगा. इसके अलावा, किसान सिंचाई उपकरणों को भी खरीदने के लिए सरकार की सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं. वहीं, दस्तावेज व प्रक्रिया से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए नजदीकी कृषि विभाग में संपर्क किया जा सकता है

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Drip Irrigation: स्मार्ट सिंचाई और सुंदर उत्पादन के लिए करें टपक सिंचाई का प्रयोग

हमारे ग्रह पर 10 अरब लोग रहेंगे, और पर्याप्त कैलोरी उगाने के लिए प्रति व्यक्ति 20% कम कृषि योग्य भूमि होगी. पानी की कमी के कारण हमें कृषि उत्पादकता और संसाधन दक्षता बढ़ाने की आवश्यकता है।टपक सिंचाई एक प्रकार की सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली है, जिसमें जल को मंद गति से बूँद-बूँद के रूप में फसलों के जड़ क्षेत्र में प्रदान किया जाता है।

इस सिंचाई विधि का आविष्कार सर्वप्रथम इसराइल में हुआ था जिसका प्रयोग आज दुनिया के अनेक देशों में हो रहा है।इस विधि में जल का उपयोग अल्पव्ययी तरीके से होता है जिससे सतह वाष्पन एवं भूमि रिसाव से जल की हानि कम से कम होती है।

ड्रिप इरिगेशन को कभी-कभी ट्रिकल इरिगेशन कहा जाता है, और इसमें एमिटर या ड्रिपर्स नामक आउटलेट से लगे छोटे व्यास के प्लास्टिक पाइप की एक प्रणाली से बहुत कम दरों (2-20 लीटर / घंटा) पर मिट्टी पर टपकता पानी शामिल होता है।दुनिया को ड्रिप सिंचाई की आवश्यकता क्यों है2050 तक, हमारे ग्रह पर 10 अरब लोग रहेंगे, और पर्याप्त कैलोरी उगाने के लिए प्रति व्यक्ति 20% कम कृषि योग्य भूमि होगी. पानी की कमी के कारण हमें कृषि उत्पादकता और संसाधन दक्षता बढ़ाने की आवश्यकता है. यहीं पर ड्रिप सिंचाई फिट बैठती है, जिससे किसानों को प्रति हेक्टेयर और घन मीटर पानी में अधिक कैलोरी का उत्पादन किया जा सकता है.

इसके अतिरिक्त निम्नलिखित फायदे तथा उपयोग है-

•खाद्य उत्पादन पर सूखे और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना•उर्वरक लीचिंग के कारण भूजल और नदियों के दूषित होने से बचेंग्रामीण समुदायों का समर्थन करें,

•गरीबी कम करें, शहरों की ओर पलायन कम करेंउपयोग

•ड्रिप सिंचाई का उपयोग खेतों, वाणिज्यिक ग्रीनहाउस और आवासीय उद्यानों में किया जाता है।

पानी की तीव्र कमी वाले क्षेत्रों में और विशेष रूप से नारियल, कंटेनरीकृत लैंडस्केप पेड़, अंगूर, केला, बेर, बैंगन, साइट्रस, स्ट्रॉबेरी, गन्ना, कपास, मक्का और टमाटर जैसे फसलों और पेड़ों के लिए ड्रिप सिंचाई को बड़े पैमाने पर अपनाया जाता है।

•घर के बगीचों के लिए ड्रिप सिंचाई किट लोकप्रिय हैं और इसमें टाइमर, नली और एमिटर शामिल हैं।

4 मिमी (0.16 इंच) व्यास वाले होसेस का उपयोग फूलों की सिंचाई के लिए किया जाता है।टपक सिंचाई के लाभ हैं:

•स्थानीय अनुप्रयोग और लीचिंग कम होने के कारण उर्वरक और पोषक तत्वों की हानि कम से कम होती है।•मिट्टी का कटाव कम होता है।

•पत्ते सूखे रहते हैं, जिससे बीमारी का खतरा कम हो जाता है।

•आमतौर पर अन्य प्रकार की दबाव वाली सिंचाई की तुलना में कम दबाव पर संचालित होता है, जिससे ऊर्जा लागत कम होती है।

•उर्वरकों की न्यूनतम बर्बादी के साथ फर्टिगेशन को आसानी से शामिल किया जा सकता है।

खरपतवार की वृद्धि कम होती है.जल वितरण अत्यधिक समान है, प्रत्येक नोजल के आउटपुट द्वारा नियंत्रित किया जाता है.अन्य सिंचाई विधियों की तुलना में श्रम लागत कम होती है.वाल्व और ड्रिपर्स को विनियमित करके आपूर्ति में बदलाव को नियंत्रित किया जा सकता है.यदि सही तरीके से प्रबंधित किया जाए तो जल अनुप्रयोग दक्षता अधिक होती है.फील्ड लेवलिंग जरूरी नहीं है.अनियमित आकार वाले खेतों को आसानी से समायोजित किया जा सकता है.पुनर्नवीनीकरण गैर-पीने योग्य पानी का सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है.ड्रिप सिंचाई के नुकसान हैं:-

•यदि पानी को ठीक से फ़िल्टर नहीं किया जाता है तो उपकरण को ठीक से बनाए नहीं रखा जा सकता है.प्रारंभिक लागत ओवरहेड सिस्टम से अधिक हो सकती है.

•सूरज की रोशनी ड्रिप सिंचाई के लिए उपयोग की जाने वाली नलियों को प्रभावित कर सकता है, जिससे उनका जीवनकाल छोटा हो जाता है.

•यदि जड़ी-बूटियों या शीर्ष ड्रेसिंग उर्वरकों को सक्रियण के लिए छिड़काव सिंचाई की आवश्यकता होती है तो ड्रिप सिंचाई असंतोषजनक हो सकती है.

•ड्रिप टेप फसल के बाद, अतिरिक्त सफाई लागत का कारण बनती है.

•उपयोगकर्ताओं को ड्रिप टेप वाइंडिंग, निपटान, पुनर्चक्रण या पुन: उपयोग की योजना बनाने की आवश्यकता होती है.

•इन प्रणालियों में भूमि स्थलाकृति, मिट्टी, पानी, फसल और कृषि-जलवायु परिस्थितियों, और ड्रिप सिंचाई प्रणाली और इसके घटकों की उपयुक्तता जैसे सभी प्रासंगिक कारकों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने की आवश्यकता होती है.हल्की मिट्टी में उपसतह ड्रिप अंकुरण के लिए मिट्टी की सतह को गीला करने में असमर्थ हो सकती है.

•स्थापना गहराई पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है.

•अधिकांश ड्रिप सिस्टम उच्च दक्षता के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिसका अर्थ है कि बहुत कम या कोई लीचिंग अंश नहीं है.

•पर्याप्त लीचिंग के बिना, सिंचाई के पानी के साथ लगाए गए लवण जड़ क्षेत्र में जमा हो सकते हैं.ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग रात के पाले से होने वाले नुकसान को नियंत्रित करने के लिए नहीं किया जा सकता है (जैसे स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के मामले में)

सिस्टम डैमेज से बचें :- ड्रिप सिंचाई सीमाओं से अवगत होने के कारण आप कई वर्षों तक अपने सिस्टम को संरक्षित कर सकते हैं. अपने ड्रिप टयूबिंग के आसपास बिजली उपकरण, जैसे कि एडगर और लॉनमूवर का उपयोग न करेंटयूबिंग को लगातार गीली घास से ढंकने पर इसकी उम्र भी बढ़ जाती है. सूर्य के प्रकाश से उसका जीवनकाल लगभग पांच वर्ष तक कम हो जाता है. हालाँकि, ढकी हुई टयूबिंग 20 साल तक चल सकती है

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नारियल पाम बीमा योजना

नारियल की खेती बारहमासी है, और इसमें जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा, कीट और कीटों के हमले जैसे कई जोखिम शामिल हैं। कई बार यह प्रभावित क्षेत्र में खेती को पूरी तरह से मिटा सकता है और किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा गठित एक सांविधिक निकाय, नारियल विकास बोर्ड, छोटे और मध्यम नारियल उत्पादकों को नुकसान से उबरने में मदद करने के लिए बीमा योजनाओं को लागू कर रहा है। इस लेख में, आइए नारियल ताड़ बीमा योजना (सीपीआईएस) के लाभों पर एक नजर डालते हैं।

योजना का उद्देश्ययोजना का उद्देश्य है:• प्राकृतिक और जलवायु संबंधी आपदाओं के खिलाफ नारियल उत्पादकों को उनके नारियल ताड़ के बीमा के लिए वित्तीय सहायता देना।• विशेष रूप से विनाशकारी वर्षों के दौरान नारियल उत्पादकों की आय को स्थिर करने में मदद करें।• जोखिम न्यूनीकरण सुनिश्चित करेंकिसानों के बीच नारियल ताड़ के पुनर्रोपण को प्रोत्साहित करें• नारियल की खेती को पुनर्स्थापित करें।

पात्रता की शर्तेंमानदंड जिसके आधार पर बीमा कवर किया जाता है ।

योजना के तहत हैं।

1. नारियल उत्पादकों के पास किसी भी संक्रामक क्षेत्र में कम से कम पाँच स्वस्थ अखरोट वाले ताड़ होने चाहिए

2. बौने और संकर खजूर के पेड़ जो 4-60 वर्ष की आयु वर्ग ।

3. 7-60 वर्ष की आयु के अंतर्गत आने वाले ताड़ के लंबे पेड़ कवरेज के लिए पात्र हैं।

4. अस्वस्थ व वृद्धावस्था के पात्र नहीं होंगेकवरेज।

5. आयु वर्ग के भीतर सभी स्वस्थ हथेलियां हैंबीमा के लिए पात्र।

6. संक्रामक क्षेत्र में वृक्षारोपण के आंशिक बीमा की अनुमति नहीं है।

7. बीमा कवरेज चौथे/सातवें वर्ष से 60वें वर्ष तक है।प्रीमियम और बीमित राशि तय करने के लिए बीमा को दो आयु समूहों में विभाजित किया गया है जो चार से पंद्रह वर्ष और सोलह और साठ वर्ष के बीच आते हैं।

योजना के अंतर्गत आने वाले जोखिमयोजना में शामिल जोखिम हैं:• तूफ़ान, ओलावृष्टि, आंधी, चक्रवात, बवंडर,बाढ़ और भारी बारिश• कीट का हमला जिसके कारण नारियल ताड़ को अपूरणीय क्षति होती है• जंगल की आग, झाड़ी की आग, आकस्मिक आग और बिजली जो हथेली को पूरी तरह से नष्ट कर देती हैभूकंप, सुनामी और भूस्खलन• गंभीर सूखा जो मृत्यु का कारण बन सकता है, हथेली को अनुत्पादक बना देता है• चोरी, युद्ध, विद्रोह क्रांति, प्राकृतिक विनाश या अपरो के कारण हुए नुकसान योजना के तहत कवर नहीं किए गए हैं।

योजना के तहत बीमा राशिहथेलियों के लिए बीमित राशि और देय प्रीमियम नीचे सूचीबद्ध आयु समूह के अनुसार अलग-अलग होते हैं।• 4 से 15 वर्ष के ताड़ के आयु वर्ग के लिए, बीमित राशि प्रति ताड़ 900 होगी और प्रति पौधा प्रति वर्ष देय प्रीमियम 9 रुपये है।16 से 60 वर्ष के बीच की आयु वर्ग के लिए, बीमित राशि प्रति पेड़ 1750 होगी और प्रति पौधा प्रति वर्ष देय प्रीमियम 14 रुपये है।

1.आवंटित बीमा राशि में से प्रीमियम आवंटनयोजना, प्रीमियम सब्सिडी साझा की जाएगी औरनिम्नानुसार भुगतान किया गया:नारियल विकास बोर्ड (सीडीबी) द्वारा 1.50%,

2. राज्य सरकार द्वारा 25%

3. किसान/उत्पादक शेष 25% का भुगतान करेंगे

4. प्रीमियम सब्सिडी राशि जारी की जाएगीभारतीय कृषि बीमा निगम लिमिटेड (एआईसी) को अग्रिम रूप से, जिसे तिमाही/वार्षिक आधार पर भर दिया जाएगा/समायोजित किया जाएगा।

किसी भी विवाद की स्थिति में और यदि राज्य सरकार प्रीमियम का 25% हिस्सा वहन करने के लिए सहमत नहीं है, तो किसानों/उत्पादकों को बीमा योजना में उनके ब्याज पर प्रीमियम का 10% भुगतान करना चाहिए।बीमा अवधिबोर्ड बीमा के प्रायोगिक चरण के दौरान सालाना प्रीमियम का संवितरण करता है। सभी पात्र किसान/किसान हर साल 31 मार्च तक नामांकन कर सकते हैं। मार्च के दौरान नामांकन विफल होने पर बाद के महीनों के दौरान साइन अप कर सकते हैं और योजना से लाभान्वित हो सकते हैं। जोखिम के मामले में, बीमा अगले महीने के पहले दिन से कवर किया जाएगा।

नियम और शर्तें :-

बोर्ड नारियल ताड़ के नुकसान का आकलन करता है और दावा जारी करने से पहले इसे रिकॉर्ड करता है। यदि किसी सन्निकट क्षेत्र में बीमित ताड़ की संख्या खतरों के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो सूचीबद्ध मानदंडों के तहत अनुमति दी जाएगी,• बीमित योजना के लिए दस से तीस खजूर के बीच के वृक्षों के लिए एक ताड़ के दावे की अनुमति होगी।• इकतीस और के बीच बीमित योजना के लिएसौ खजूर के पेड़, दो खजूर होंगेदावे के लिए अनुमत।• बीमित योजना के लिए सौ से अधिक, तो तीन ताड़ के दावे की अनुमति होगी।

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मौसम आधारित फसल बीमा योजना

मौसम आधारित फसल इंश्योरेंस की जानकारीमौसम आधारित फसल इंश्योरेंस स्कीम (डब्ल्यूबीसीआईएस) का मकसद इंश्योर्ड किसानों को फसल नुकसान के कारण होने वाले फाइनेंशियल नुकसान संबंधी परेशानियों को कम करना है, जो प्रतिकूल मौसम की स्थितियों, जैसे कि बारिश, तापमान, हवा, आर्द्रता आदि की वजह से होती हैं। (डब्ल्यूबीसीआईएस )फसल की पैदावार के लिए “प्रॉक्सी” के रूप में मौसम मानदंडों का इस्तेमाल करता है, ताकि किसानों को फसल के नुकसान की भरपाई की जा सके. पेआउट स्ट्रक्चर को मौसम ट्रिगर का उपयोग करके होने वाले नुकसान की सीमा तक के लिए विकसित किया गया हैं। :-फसलों के लिए कवरेज खाद्य फसलें (अनाज, बाजरा और दालें)तिलहन व्यावसायिक/बागवानी वाली फसल।

कवर किए गए किसान:- क्षेत्रों में अधिसूचित फसलों को उगाने वाले बटाईदार और काश्तकार किसानों सहित सभी किसान इस स्कीम के तहत कवरेज के लिए पात्र हैं, हालांकि, इंश्योर्ड फसल पर इंश्योरेंस लेने के लिए किसानों में रुचि होनी चाहिए. गैर-लोन लेने वाले किसानों को डॉक्यूमेंट के रूप में आवश्यक सबूत, जैसे भूमि संबंधी रिकॉर्ड और/या लागू कॉन्ट्रैक्ट/एग्रीमेंट विवरण (फसल बटाईदार/काश्तकार किसानों के मामले में) सबमिट करना होगा।अधिसूचित फसलों के लिए, फाइनेंशियल संस्थानों (लोनी किसानों) से मौसमी कृषि संचालन (एसएओ) लोन लेने वाले सभी किसानों को अनिवार्य रूप से कवर किया जाता है।

यह स्कीम नॉन-लोनी किसानों के लिए वैकल्पिक है,वे डब्ल्यूबीसीआईएस और पीएमएफबीवाई के बीच चुन सकते हैं, और अपनी आवश्यकताओं के आधार पर इंश्योरेंस कंपनी भी चुन सकते हैं। कवर किए जाने वाले मौसम संबंधी खतरे इस स्कीम में उन प्रमुख मौसम संबंधी खतरों को कवर किया जाएगा, जिनसे “प्रतिकूल मौसम म वाली घटना” होती है, जो फसल हानि की वजह बनती है: –

✓ बारिश – कम बारिश, ज़्यादा बारिश, बेमौसम बारिश, बारिश के दिन, शुष्क मौसम, शुष्क दिन

✓ तापमान – उच्च तापमान (गर्मी), कम तापमान

✓ उमस

✓ हवा की गति

✓ ऊपर दी गई सभी चीज़ों का मेल

✓ ओला-वृष्टि, बादल फटने को भी उन किसानों के लिए ऐड-ऑन/इंडेक्स-प्लस प्रॉडक्ट के रूप में भी कवर किया जा सकता है, जिन्होंने डब्ल्यूबीसीआईएस के तहत पहले से ही बेसिक कवरेज लिया हो ।

मौसम संबंधी आपदाएं मौसम आधारित फसल बीमा के अंतर्गत आती हैं मौसम आधारित फसल बीमा का उद्देश्य प्रतिकूल मौसम की स्थिति से होने वाले वित्तीय नुकसान से किसानों की रक्षा करना है। इस प्रकार के बीमा के अंतर्गत आमतौर पर निम्नलिखित खतरे कवर किए जाते हैं:

वर्षा – कम वर्षा, अधिक वर्षा, बेमौसम वर्षा, वर्षा के दिन, शुष्क-काल, और शुष्क दिन।सापेक्ष आर्द्रता – हवा में नमी की मात्रा का फसल की पैदावार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, और बीमा कवरेज उच्च या निम्न आर्द्रता से जुड़े वित्तीय जोखिमों को कम करने में मदद कर सकता है।

तापमान – उच्च तापमान (गर्मी) और कम तापमान दोनों फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं या मार सकते हैं, और बीमा कवरेज अत्यधिक तापमान के कारण फसल खराब होने की स्थिति में किसानों को उनके नुकसान की भरपाई करने में मदद कर सकता है।

हवा की गति – तेज हवाएं फसलों को नुकसान पहुंचा सकती हैं, और बीमा कवरेज तेज हवा की गति के कारण फसल खराब होने की स्थिति में किसानों को उनके नुकसान की भरपाई करने में मदद कर सकता है।

उपर्युक्त का एक संयोजन – प्रतिकूल मौसम की घटनाएं जिनमें उपरोक्त खतरों का एक संयोजन शामिल है, को भी मौसम आधारित फसल बीमा के तहत कवर किया जा सकता है।एड-ऑन/इंडेक्स-प्लस उत्पाद – उन किसानों के लिए ऐड-ऑन/इंडेक्स-प्लस उत्पादों के रूप में ओलावृष्टि और बादल फटने को भी कवर किया जा सकता है, जिन्होंने पहले ही WBCIS के तहत सामान्य कवरेज ले लिया है।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

किसानों की फसल के संबंध में अनिश्चितताओं को दूर करने के लिये नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट ने 18 फरवरी 2016 को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुयी हानि को किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम करायेगी।इस योजना के लिये 8,800 करोड़ रुपयों को खर्च किया जायेगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत, किसानों को बीमा कम्पनियों द्वारा निश्चित, खरीफ की फसल के लिये 2% प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5% प्रीमियम का भुगतान करेगा।इसमें प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हुई फसल के खिलाफ किसानों द्वारा भुगतान की जाने वाली बीमा की किस्तों को बहुत नीचा रखा गया है, जिनका प्रत्येक स्तर का किसान आसानी से भुगतान कर सके। ये योजना न केवल खरीफ और रबी की फसलों को बल्कि वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए भी सुरक्षा प्रदान करती है, वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिये किसानों को 5% प्रीमियम (किस्त) का भुगतान करना होगा।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पैसे कैसे मिलेगा ?:- संपादित करेंप्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत आप सभी पैसा लेना चाहते हैं, जैसे कि आपको पैसा आपको कांच में आपके चेहरे की तरह दिख रहा है जी हां अगर आप सही में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से पैसे कमाना चाहते हो तो इसके लिए आपको क्लेम करना होगा जिसको बोलते हैं बीमा का क्लेम प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को सबसे पहले 72 घंटे के भीतर क्लेम करना होगा ।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सूची संपादित करें विशेषकर इस योजना के अंतर्गत अगर प्राकृतिक आपदाएं के रोगों के कारण अगर आप की फसल बर्बाद हो जाती हैं, तो सरकार के द्वारा आप का भुगतान किया जाएगा जितने आप का नुकसान हुआ है।कृषि में किसानों को सुनिश्चित करने के लिए बीज का भी पैसा मिलेगा आपको।और साथ में दोस्तों इसका उद्देश्य यह भी है, कि किसान विशेषकर कर्ज के कारण आत्महत्या कर लेते हैं, तो उससे भी आपको छुटकारा मिलेगा।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की विशेषताएं व लाभ – प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को यदि प्राकृतिक आपदाओं के कारण आर्थिक हानि होती है तो इस हानि को सरकार द्वारा कुछ हद तक कवर करने की कोशिश किया जाता है।इस योजना के तहत किसानों के द्वारा भुगतान की जाने वाली बीमा की प्रीमियम राशि को बहुत ही कम रखा गया है जिससे छोटा किसान भी इस योजना का लाभ उठा सकें ।सभी खरीफ फसलों के लिए किसानों को केवल 2% और सभी रबी फसलों के लिए 1.5% की प्रीमियम राशि का भुगतान करना होगा।वार्षिक वाणिज्यिक बागवानी फसलों के मामले में किसानों द्वारा भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम राशि केवल 5% होगा।पहले यह योजना सभी ऋणी किसानों के लिए अनिवार्य था, लेकिन 2020 के बाद केंद्र ने ऐसे सभी किसानों के लिए वैकल्पिक कर दिया हैइस योजना के तहत post-harvest (फसल कटाई के बाद) नुकसान को भी शामिल किया गया है । फसल काटने के 14 दिन तक यदि फसल खेत में है और उस दौरान कोई आपदा के कारण फसल नुकसान हो जाता है तो किसानों को दावा राशि प्राप्त हो सकेगी ।इस योजना में टेक्नोलॉजी का भी उपयोग किया जाएगा जिससे नुकसान का आकलन शीघ्र और सही हो सके ।यह योजना कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है।बीमा राशि सीधे किसान के बैंक खाते में ऑनलाइन रूप से जमा की जाती है।

मुख्य तथ्यइस फसल बीमा योजना में शामिल किये गये मुख्य तथ्य निम्नलिखित हैं: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की भुगतान की जाने वाली प्रीमियम (किस्तों) दरों को किसानों की सुविधा के लिये बहुत कम रखा गया है ताकि सभी स्तर के किसान आसानी से फसल बीमा का लाभ ले सकें।इसके अन्तर्गत सभी प्रकार की फसलों (रबी, खरीफ, वाणिज्यिक और बागवानी की फसलें) को शामिल किया गया है। खरीफ (धान या चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, गन्ना आदि) की फसलों के लिये 2% प्रीमियम का भुगतान किया जायेगा। रबी (गेंहूँ, जौ, चना, मसूर, सरसों आदि) की फसल के लिये 1.5% प्रीमियम का भुगतान किया जायेगा। वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों बीमा के लिये 5% प्रीमियम का भुगतान किया जायेगा।सरकारी सब्सिडी पर कोई ऊपरी सीमा नहीं है। यदि बचा हुआ प्रीमियम 90% होता है तो ये सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।शेष प्रीमियम बीमा कम्पनियों को सरकार द्वारा दिया जायेगा। ये राज्य तथा केन्द्रीय सरकार में बराबर-बराबर बाँटा जायेगा।ये योजना राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एन.ए.आई.एस.) और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एम.एन.ए.आई.एस.) का स्थान लेती है।इसकी प्रीमियम दर एन.ए.आई.एस. और एम.एन.ए.आई.एस. दोनों योजनाओं से बहुत कम है साथ ही इन दोनों योजनाओं की तुलना में पूरी बीमा राशि को कवर करती है।इससे पहले की योजनाओं में प्रीमियम दर को ढकने का प्रावधान था जिसके परिणामस्वरुप किसानों के लिये भुगतान के कम दावे पेश किये जाते थे। ये कैपिंग सरकारी सब्सिडी प्रीमियम के खर्च को सीमित करने के लिये थी, जिसे अब हटा दिया गया है और किसान को बिना किसी कमी के दावा की गयी राशी के खिलाफ पूरा दावा मिल जायेगा।प्रधानमंत्री फसल योजना के अन्तर्गत तकनीकी का अनिवार्य प्रयोग किया जायेगा, जिससे किसान सिर्फ मोबाईल के माध्यम से अपनी फसल के नुकसान के बारें में तुरंत आंकलन कर सकता है।प्रधानमंत्री फसल योजना के अन्तर्गत आने वाले 3 सालों के अन्तर्गत सरकार द्वारा 8,800 करोड़ खर्च करने के साथ ही 50% किसानों को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है।मनुष्य द्वारा निर्मित आपदाओं जैसे; आग लगना, चोरी होना, सेंध लगना आदि को इस योजना के अन्तर्गत शामिल नहीं किया जाता है।प्रीमियम की दरों में एकरुपता लाने के लिये, भारत में सभी जिलों को समूहों में दीर्घकालीन आधार पर बांट दिया जायेगा।ये नयी फसल बीमा योजना ‘एक राष्ट्र एक योजना’ विषय पर आधारित है। ये पुरानी योजनाओं की सभी अच्छाईयों को धारण करते हुये उन योजनाओं की कमियों और बुराईयों को दूर करता है।

इस योजना के कुछ अन्य लाभ – प्रधानमंत्री फसल बिमा योजना के माध्यम से किसान को होने वाले नुकसान के लिए सरकार द्वारा बिमा प्रदान किया जायेगा |इस योजना का लाभ वही किसान ले सकते है जिनका किसी प्राकृतिक आपदा के कारन नुकसान हुआ है |अन्य किसी कारन से नुकसान होने पर इस योजना का लाभ नहीं ले सकते है |योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते है |

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भारत में कृषि से जुड़ी पांच सबसे बड़ी समस्याएं और उनके समाधान।

भारत में कृषि से जुड़ी पांच सबसे बड़ी समस्याएं और उनके समाधान।भारत में कृषि से जुड़ी पांच सबसे बड़ी समस्याएं और उनके समाधान।भारत में कृषि से जुड़ी पांच सबसे बड़ी समस्याएं और उनके समाधान।भारत में कृषि की उपयोगिता और व्यापकता सभी जानते है, भारत की संस्कृति और अर्थव्यवस्था पर इसका क्या प्रभाव है वो भी सभी जानते है। सभी लोग कृषि क्षेत्र में तरक्की और किसानों की खुशहाली की बात करते है, हालाकि आज कृषि के हालात किस तरह के है यह भी स्पष्ट है। अब सवाल यह है कि कृषि के विकास को लेकर जब सभी वांछित है तो ऐसे हालात क्यों है। इसलिए हम आज 5 ऐसी समस्याओं के बारे में बात कर रहे है जो कृषि के व्यवसाय में अवरोध बनी हुई हैं।

  1. सिंचाई के लिए पानी की कमी:- भारत में जिस तरह की फसलें बोई जाती है उनके के लिए पानी बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन खरीफ में अनियमित बारिश की समस्या हो या रबी फसलों के लिए पानी की कमी की समस्या हो किसानों को हर वक्त पानी परेशान करता रहता है। आज के दौर में जहां जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है, भू जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है ये समस्या भयानक होने की तरफ बढ़ रही है। लेकिन अब इसके जवाब में ऐसे बीज जिनमें पानी की कम जरूरत पड़े, सिंचाई के उन्नत तकनीक और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता सामने आ रहे है।

2.छोटी और बिखरी हुई भूमि:- आज कृषि की सबसे बड़ी समस्या यही है किसानों के सबसे बड़े हिस्से के पास सबसे कम जमीन है। भारत में लघु व सीमांत किसान 86% है लेकिन उनके अधिकार में 50% से भी कम भूमि है। भूमि के असमान वितरण और छोटे किसानों की अधिक संख्या एक ऐसी समस्या है जिसका जवाब ढूंढना बहुत कठिन है। हां पर अगर किसान एक साथ मिलकर सामूहिक रूप से बड़ी भूमि पर वैज्ञानिक तरह से खेती करें तो इसका भी समाधान हो सकता है।

3.कृषि के प्रति नई पीढ़ी में रुचि का अभाव:- किसान पर किए कई सर्वो में यह सामने आया है कि 50% किसान अपने बच्चों को किसानी नहीं करवाना चाहते, साथ ही नई पीढ़ी में किसानी नहीं करना चाहती। हालाकि आज भी कृषि से देश का 49% रोजगार उपलब्ध होता है पर आने वाले समय में यह बड़ी समस्या हो सकती है। कृषि मशीनीकरण को इसके समाधान के तौर पर देखा जा सकता है, साथ ही पढ़ी-लिखी नई पीढ़ी की जैविक खेती में रुचि और उनके वैज्ञानिक तरह से कृषि का लाभ उठाने वाले किस्से नई आस जगाते हैं।

4.मृदा अपरदन:- उपजाऊ भूमि के बड़े भाग हवा और पानी द्वारा मिट्टी के क्षरण से पीड़ित हैं। इस क्षेत्र को ठीक से इलाज किया जाना चाहिए और इसकी मूल प्रजनन क्षमता को बहाल करना चाहिए, जिसके लिए पेड़ों को लगाना एक अच्छा उपाय है।

5.सरकारी योजनाओं का असफल क्रियान्वयन:- सरकारें कई योजनाएं बनाती हैं पर उनका पूरा लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पाता। पहले तो किसानों में योजनाओं के प्रति जागरूकता की कमी है अगर जागरूकता हो भी तो सरकारी अफसरों के भ्रष्टाचार और काग़ज़ी झंझटो का सामना करना पड़ता है। समस्या गंभीर है पर जैसे जैसे किसान शिक्षित होते जाएंगे और सरकारी संस्थाओं का डिजिटलाइजेशन होगा इस समस्या का भी समाधान हो जाएगा।समस्याएं और भी लेकिन सबके इलाज मिल सकते है, जरूरी है किसान समस्याओं से अधिक समाधान के बारे में सोचें और जागरूक बने। अगर आप भी किसानों से जुड़ी कोई भी समस्या सामने लाना चाहते हैं या किसी समस्या के समाधान बताना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

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भारत में कृषि से जुड़ी पांच सबसे बड़ी समस्याएं और उनके समाधान।

भारत में कृषि की उपयोगिता और व्यापकता सभी जानते है, भारत की संस्कृति और अर्थव्यवस्था पर इसका क्या प्रभाव है वो भी सभी जानते है। सभी लोग कृषि क्षेत्र में तरक्की और किसानों की खुशहाली की बात करते है, हालाकि आज कृषि के हालात किस तरह के है यह भी स्पष्ट है। अब सवाल यह है कि कृषि के विकास को लेकर जब सभी वांछित है तो ऐसे हालात क्यों है। इसलिए हम आज 5 ऐसी समस्याओं के बारे में बात कर रहे है जो कृषि के व्यवसाय में अवरोध बनी हुई हैं।

1. सिंचाई के लिए पानी की कमी:- भारत में जिस तरह की फसलें बोई जाती है उनके के लिए पानी बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन खरीफ में अनियमित बारिश की समस्या हो या रबी फसलों के लिए पानी की कमी की समस्या हो किसानों को हर वक्त पानी परेशान करता रहता है। आज के दौर में जहां जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है, भू जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है ये समस्या भयानक होने की तरफ बढ़ रही है। लेकिन अब इसके जवाब में ऐसे बीज जिनमें पानी की कम जरूरत पड़े, सिंचाई के उन्नत तकनीक और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता सामने आ रहे है।

2. छोटी और बिखरी हुई भूमि:- आज कृषि की सबसे बड़ी समस्या यही है किसानों के सबसे बड़े हिस्से के पास सबसे कम जमीन है। भारत में लघु व सीमांत किसान 86% है लेकिन उनके अधिकार में 50% से भी कम भूमि है। भूमि के असमान वितरण और छोटे किसानों की अधिक संख्या एक ऐसी समस्या है जिसका जवाब ढूंढना बहुत कठिन है। हां पर अगर किसान एक साथ मिलकर सामूहिक रूप से बड़ी भूमि पर वैज्ञानिक तरह से खेती करें तो इसका भी समाधान हो सकता है।

3. कृषि के प्रति नई पीढ़ी में रुचि का अभाव:- किसान पर किए कई सर्वो में यह सामने आया है कि 50% किसान अपने बच्चों को किसानी नहीं करवाना चाहते, साथ ही नई पीढ़ी में किसानी नहीं करना चाहती। हालाकि आज भी कृषि से देश का 49% रोजगार उपलब्ध होता है पर आने वाले समय में यह बड़ी समस्या हो सकती है। कृषि मशीनीकरण को इसके समाधान के तौर पर देखा जा सकता है, साथ ही पढ़ी-लिखी नई पीढ़ी की जैविक खेती में रुचि और उनके वैज्ञानिक तरह से कृषि का लाभ उठाने वाले किस्से नई आस जगाते हैं।

4. मृदा अपरदन:- उपजाऊ भूमि के बड़े भाग हवा और पानी द्वारा मिट्टी के क्षरण से पीड़ित हैं। इस क्षेत्र को ठीक से इलाज किया जाना चाहिए और इसकी मूल प्रजनन क्षमता को बहाल करना चाहिए, जिसके लिए पेड़ों को लगाना एक अच्छा उपाय है।

5. सरकारी योजनाओं का असफल क्रियान्वयन:- सरकारें कई योजनाएं बनाती हैं पर उनका पूरा लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पाता। पहले तो किसानों में योजनाओं के प्रति जागरूकता की कमी है अगर जागरूकता हो भी तो सरकारी अफसरों के भ्रष्टाचार और काग़ज़ी झंझटो का सामना करना पड़ता है। समस्या गंभीर है पर जैसे जैसे किसान शिक्षित होते जाएंगे और सरकारी संस्थाओं का डिजिटलाइजेशन होगा इस समस्या का भी समाधान हो जाएगा।समस्याएं और भी लेकिन सबके इलाज मिल सकते है, जरूरी है किसान समस्याओं से अधिक समाधान के बारे में सोचें और जागरूक बने। अगर आप भी किसानों से जुड़ी कोई भी समस्या सामने लाना चाहते हैं या किसी समस्या के समाधान बताना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।