किसान बहुत बेसब्री से मानसून का इंताजर करते हैं, ताकि वह पानी वाली फसलों की खेती आसानी से कर पाएं. मानसून सीजन खरीफ फसलों के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है. इस दौरान किसान मुख्य रूप से धान की खेती को प्रमुखता देते हैं. धान के साथ-साथ सोयाबीन, मक्का, अरहर, दलहन-तिलहन फसलों की बुवाई करते हैं।
किसान बहुत बेसब्री से मानसून का इंताजर करते हैं, ताकि वह पानी वाली फसलों की खेती आसानी से कर पाएं. मानसून सीजन खरीफ फसलों के लिए बहुत उपयुक्त माना जाता है. इस दौरान किसान मुख्य रूप से धान की खेती को प्रमुखता देते हैं. धान के साथ-साथ सोयाबीन, मक्का, अरहर, दलहन-तिलहन फसलों की बुवाई करते हैं. मगर कई बार कम या अधिक बारिश से सब्जियों की फसल में रोग और कीट का प्रकोप हो जाता है. इस कारण किसानों को सब्जियों की खेती में भारी नुकसान उठाना पड़ता है. शायद यही वजह है कि किसान धान, मक्का. सोयाबीन जैसी फसलों की तरफ ज्यादा रूख करते हैं. ऐसे में आज कृषि जागरण अपने किसान भाईयों के लिए इस समस्या का समाधान लेकर आया है।
दरअसल, देश के अधिकतर राज्यों के बागवानी विभाग द्वारा सब्जियों की खेती के लिए कई उन्नत तकनीक को विकसित किया जा रहा है. इसमें वर्टिकल फार्मिंग तकनीक का नाम भी शमिल है. आजकल खेती में यह तकनीक वरदान बनती जा रही है. किसान इस तकनीक को अपनाकर खेती में काफी लाभ उठा रहे हैं. इसके तहत किसान खीरा, घीया, टमाटर, शिमला मिर्च, तोरई, करेला, सादा मिर्च और ऑफ सीजन धनिया भी उगा सकते हैं।
क्या है वर्टिकल फार्मिंग (What is vertical farming)
इस तकनीक में सब्जियों के पौधों को पॉली हाउस में ऊपर बांध दिया जाता है. इसके बाद बांस और बल्लियों के सहारे बेल को उपर चढ़ा देते हैं. इस तरह सब्जियां जमीन पर नहीं टिक पाती हैं औऱ पौधे ऊपर की तरफ बढ़ते रहते हैं. इस तरह सब्जियों की फसल बारिश, कीट, रोग आदि के प्रकोप से बची रहती हैं, साथ ही इससे उत्पादन भी अधिक मिलता है।
वर्टिकल फार्मिंग से फायदा (Benefit from vertical farming)
इस तकनीक में सब्जियों की फसलें जमीन को नहीं छू नहीं पाती हैं. इस कारण उनका आकार और रंग काफी साफ प्राप्त होता हैं. साफ शब्दों में कहें, तो फसल की गुणवत्ता काफी अच्छी मिलती है और बाजार में अच्छी कीमत में बिकती हैं।
वर्टिकल फार्मिंग पर सब्सिडी (Subsidy on vertical farming)
किसानों को इस तकनीक से सब्जियां उगाने पर बागवानी विभाग द्वारा सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जाती है. राज्य सरकार अपने-अपने अनुसार इस तकनीक पर सब्सिडी देती हैं. इसको अपनाकर किसान फसलों का दोगुना उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. देश के कई राज्यों के किसान इसका लाभ उठा रहे हैं।
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