By Abhinagya Tiwari / 21/06/2023
हमारे सामने आज के समय में सबसे बड़ी समस्या हमारे स्वस्थ्य को लेकर है जिसकी वजह से हम हमेशा चिंतित रहते हैं। आज के समय में बच्चो से लेकर बड़े घातक बीमारियों का शिकार होते जा रहे हैं। प्राचीन काल में न ही बड़े हॉस्पिटल थे और न ही अंग्रेजी दवाईया। फिर भी उस समय के लोग हट्टे-कट्टेऔर स्वस्थ रहते थे। आज के समय में तो हमें खाने से अधिक दवाईया खानी पड़ती है। इसका कारण यह है कि हम प्राकृतिक चीजों को छोड़ते जा रहे हैं और बनावटी चीजों पर ज्यादा विश्वास करने लगे हैं ।
हमारे सामने आज के समय में सबसे बड़ी समस्या हमारे स्वस्थ्य को लेकर है जिसकी वजह से हम हमेशा चिंतित रहते हैं। आज के समय में बच्चो से लेकर बड़े घातक बीमारियों का शिकार होते जा रहे हैं। प्राचीन काल में न ही बड़े हॉस्पिटल थे और न ही अंग्रेजी दवाईया। फिर भी उस समय के लोग हट्टे-कट्टेऔर स्वस्थ रहते थे। आज के समय में तो हमें खाने से अधिक दवाईया खानी पड़ती है। इसका कारण यह है कि हम प्राकृतिक चीजों को छोड़ते जा रहे हैं और बनावटी चीजों पर ज्यादा विश्वास करने लगे हैं। पुराने समय में जितने भी ऋषि मुनि हुए हैं सब योग किया करते थे। यहाँ तक कि उनको कोई समस्या नहीं होती थी। यदि हमें अपने आप को स्वस्थ रखना है और अच्छा जीवन जीना है तो इसके लिए आज के समय में योग बहुत ही आवश्यक हो गया। योग कि शुरुआत भारत से हुयी यह भारतीय पूर्वजों कि देन है। लेकिन आज पूरे विश्व में योग का डंका बज रहा है। अंग्रेज भारतियों से ज्यादा योग की और प्रेरित हो रहे है। हमें अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए योग करना आवश्यक है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विश्व को योग करने पर मजबूर कर दिया। जी हाँ उन्होंने योग को विश्वस्तर पर एक अलग पहचान दिलाई। जिसकी शुरुआत 21 जून 2014 से हुयी और पूरा देश विश्व योग दिवस मनाने लगा।
विश्व योग दिवस का इतिहास :
11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की। इसके बाद 2015 से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस दुनिया भर में मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए योग के महत्व पर चर्चा की थी। संयुक्त राष्ट्र में 177 सदस्यों द्वारा 21 जून को ” अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस” को मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली। प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रस्ताव को 90 दिन के अंदर पूर्ण बहुमत से पारित किया गया, जो संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी दिवस प्रस्ताव के लिए सबसे कम समय है।
पहला विश्व योग दिवस :
पहला विश्व योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया। भारत में पहले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को मनाने के लिए भाजपा के साथ बाबा रामदेव ने भी इस आयोजन के लिए खास तैयारियां की थी, विश्व योग दिवस को यादगार बनाने और पूरे विश्व को योग के प्रति जागरूक करने के लिए रामदेव ने 35 मिनट का विशेष पैकेज तैयार किया था। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के सफल होने के साथ ही भारत ने दो विश्व रिकार्ड भी कायम कर लिए हैं। पहले विश्व योग दिवस पर खुद प्रधानमंत्री ने शिरकत की थी जिसमें लगभग 36000 लोगों ने एकसाथ योग किया था।
हर साल बदलती है योग दिवस की थीम :
2015: सद्भाव और शांति के लिए योग Yoga for Harmony and Peace
2016: युवाओं को कनेक्ट करें Connect the youth
2017: स्वास्थ्य के लिए योग Yoga for Health
2018: शांति के लिए योग Yoga for Peace
2019: पर्यावरण के लिए योग Yoga for Climate एक्शन
प्रधानमंत्री इस बार 50 हजार लोगो साथ करेंगे योग :
पांचवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर रांची में आयोजित होने वाले मुख्य कार्यक्रम में शामिल होंगे। उनके आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को पांचवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम में सुबह छह बजे धुर्वा स्थित प्रभात तारा मैदान में लगभग पचास हजार आम लोगों के साथ योग करेंगे।
इन आसनो के साथ करें शुरुआत :
तितली आसन
तितली आसन, इसे अंग्रेजी में बटरफ्लाई पोज़ के नाम से जाना जाता है. इसे करना बेहद ही आसन है। इसे करने के लिए सबसे पहले तो आप किसी भी साफ़ समतल जगह पर एक आसन बीछाकर बैठ जाये, इसके पश्चात अपने पैरो को घुटनों की और से मोड और तलवो को मिला दे। आपके पैर की स्तिथि आपको इस वक्त ऐसे करनी है मानो आप अपने पैरो से हाथ जोड़ रहे है। अपने दोनों हाथो से पैरो के पंजे को पकडे.अपनी पीठ तथा रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी रखे। अपनी साँसों को सामान्य चलने दे तथा पैरो को इस प्रकार हिलाए जैसे की तितली पंख खिलाती है। इस आसन को करने से जांघो के ऊपर की चर्बी घटती है। यह आपके पुरे पैरो को सुढोल, तथा लचीला बनाता है। गर्भवती महिलाओ के लिए भी यह फायदेमंद है, इसे तीसरी तिमाही से किया जाता है। लेकिन आप गर्भवती है तो इसे अपने मन से ट्राई न करते हुए पहले चिकित्सक की सलाह लेना सही रहेगा।
ताड़ासन
शुरुआत की बात करे तो ताड़ासन भी करने में ज्यादा कठिन नहीं होता है, बस कुछ दिन की प्रैक्टिस में आप इसे बड़ी ही सरलता के साथ कर सकते है। इसे करते वक्त आपके शरीर की मुद्रा ताड़ के पेड़ के समान दिखती है। इसलिए ही इसे ताड़ासन नाम दिया गया है। इसे करने के लिए एक हवादार खुली जगह का चुनाव करे। आप चाहे तो अपने घर की छत या किसी भी पार्क में कर सकते है। वैसे तो इसे घर में भी किया जा सकता है। लेकिन योगासनों को फ्रेश एयर में करने से फायदा मिलता है। सबसे पहले सीधे खड़े हो जाये, जैसे की सावधान की मुदा में खड़े होते है। अब अपने हाथो को कानो के पास से ऊपर ले जाये। दोनों हाथो के उंगलियों को क्रॉस कर ले।
अब सांस लेते हुए ऊपर की और उठे, हाथो को ऊपर की और ताने, और पैरो की एडी को भी ऊपर की और उठाये, आपका भार आपके पैरो की उंगलियों पर होना चाहिए। अब एक से दो सेकंड ऐसे ही रुके रहे और सांस छोड़ते हुए निचे आ जाये.ताड़ासन बच्चो के लिए बहुत ही अच्छा होता है, क्योंकि यह उचाई बढाने में सहायक है। इसे करने से गठिया का रोंग दूर होता है तथा ह्रदय के लिए भी यह अच्छा है। इससे महिलाओ की मासिक धर्म से जुडी समस्याए ख़तम होती है।
बालासन
बालासन में हमारे शरीर की मुद्रा, कोंख में पल रहे बच्चे के समान दिखाई देती है. इसलिए ही इसे बालासन कहा गया है. अंग्रेजी में इसे चाइल्ड पोज़ के नाम से जाना जाता है। इस आसन को भी सरलता से आप कर सकते है। इसकी विधि हमने अपने एक लेख में पहले से बताई है आप वहा से बालासन की विधि पढ़ सकते है, साथ ही इससे जुडी और भी जानकारी आपको वहा मिलेगी। बालासन करने से पेट की चर्बी कम होती है। इसे करने से मन को शांति मिलती है तथा तनाव दूर होता है।
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