Kishan farming equipment

आधुनिक कृषि यंत्र

परिचय

देश की बढ़ती हुई आबादी की खाद्य समस्या को हल करने के लिए सघन खेती अति आवश्यक है। इस विधि से एक ही खेत में एक वर्ष में कई फसलें ली जा सकती हैं। इसके लिए उन्नत बीज, रासायनिक खाद, कीटनाशी दवा तथा पानी की समुचित व्यवस्था के साथ-साथ समय पर कृषि कार्य करने के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग भी अति आवश्यक है। कृषि क्षेत्र में प्रायः सभी कार्य कृषि यंत्रों से करना सम्भव है, जैसे जुताई, बुवाई, सिंचाई, कटाई, मड़ाई एवं भंडारण आदि।

कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषि में यंत्रीकरण का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। यंत्रीकरण से उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों बढ़ती है यंत्रीकरण से कम समय में अधिक कार्य कुशलता के साथ किये जा सकते हैं। कृषि में यंत्रीकरण से निम्न लाभ हो सकते हैं :

1 कृषि उत्पादकता में 12-34 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है।

2 बीज सह खाद ड्रिल से 20 प्रतिशत बीज की तथा 15-20 प्रतिशत खाद की बचत होती है।

3 फसल सघनता को 05-12 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।

4 कृषकों की कुल आमदनी 30-50 प्रतिशत तक बढ़ायी जा सकती है।

हमारे झारखण्ड प्रदेश में भी कृषि यंत्रों का प्रयोग दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। यहाँ के किसान मजदूरों की कमी की समस्या के परिणामस्वरूप आधुनिक यंत्रों का प्रयोग करने लगे हैं।यहाँ कृषि के भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए भिन्न-भिन्न यंत्रों का वर्णन किया जा रहा है, जो निश्चित ही किसानों, प्रसार कार्यकर्ताओं एवं कृषि से जुड़े लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

भूमि की तयारी के लिए उपयुक्त कृषि यन्त्र :-भूपरिष्करण या खेत की जुताई, फसल उगाने की एक महत्वपूर्ण क्रिया है। पौधों को भूमि में उपस्थित सभी तत्व मिल सके इसके लिए भूमि की जुताई एवं खरपतवारों को नष्ट करना आवश्यक हो जाता हैं। भूमि की अच्छी जुताई करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

भूमि की संरचना में सुधार।भूमि की जल अधिग्रहण क्षमता वृद्धि।

भूमि में वायु का संचार।

खर-पतवार नियंत्रण।

खेतों की जुताई एवं मिट्टी को बीज बोने के लिए अनुकूल बनाने के लिए भिन्न-भिन्न यंत्रों का वर्णन किया जा रहा है जो निम्नवत है :

पशु चालित पटेला हैरो:- पशु चालित पटेला हैरो लकड़ी का बना होता है जिसकी लम्बाई 1.50 मीटर तथा मोटाई 10 से.मी. होती है। इसमें एक फ्रेम जुड़ा रहता है, जिसमे एक घुमावदार हुक बंधा रहता हैं, जो लीवर की सहायता से उपर नीचे किया जा सकता है। यह एक द्वितीय भूपरिष्करण यंत्र हैं, जिसकी सहायता से मिट्टी भुर-भुरी करना, फसल के टूठ को इक्कट्ठा करना तथा खरपतवार को मिट्टी से बाहर निकालना इत्यादि कार्य किये जाते हैं। परम्परागत पटेला की तुलना में इस पटेला से 30 प्रतिशत मजदूर की बचत, संचालन खर्च में 58 प्रतिशत बचत तथा उपज में 3-4 प्रतिशत की वृद्धि होती है।

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